अमूल व मदर डेयरी समेत सहकारी दुग्ध समितियों को निर्देश, जल्द खोलें किसानों के बैंक खाते
नई दिल्ली, = अमूल मदर डेयरी, डीएमएस जैसे दुग्ध व अन्य सहकारी समितियों को केंद्र सरकार ने निर्देश दिया है कि वे किसानों और दुग्ध उत्पादकों को किए जाने वाले भुगतान सीधे उनके खाते में हस्तांतरित करें। इसके लिए 30 जनवरी 2017 तक की तारीख तय की गई है। इस तारीख के अंदर सभी समितियों को किसानों और दुग्ध उत्पादकों के बैंक खाते खोलना सुनिश्चित करना होगा।
विमुद्रीकरण के निर्णय के फलस्वरूप विशेष रूप से विशुद्ध नकद लेन-देन से फल-फूल रहे कुछ क्षेत्रों में अनायास प्रभाव देखा गया है। इस संबंध में दुग्ध उत्पादकों/ किसानों द्वारा डेयरी को-ऑपरेटिव्ज को आपूर्ति किए गए दूध का भुगतान करने में सहकारी बैंकों में धन की उपलब्धता न होने का मामला सरकार की जानकारी में आया है।
जीसीएमएमएफ, अमूल को विशेष रूप से यह निर्देश दिया गया है कि वह 30 दिसम्बर तक शत-प्रतिशत दूध उत्पादकों के खाते खोलना सुनिश्चित करे। इसी प्रकार अन्य सहकारी समितियों को भी दुग्ध उत्पादकों व किसानों के शत-प्रतिशत खाते 30 जनवरी 2017 तक खोलने का निर्देश दिया गया है।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, मदर डेयरी, दिल्ली दुग्ध योजना और सभी राज्य डेयरी सहकारी महासंघों जैसी एजेंसियों को जल्द से जल्द दूध उत्पादकों के बैंक खातों में सीधे भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
भुगतान समस्या की मौजूदा स्थिति पर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह नियमति जानकारी ले रहे हैं और उन्होंने समस्याओं को दूर करने के जरूरी कार्रवाई का निर्देश भी दिया है।
उल्लेखनीय है कि ग्राम स्तर पर 1.70 लाख दुग्ध सहकारी समितियां हैं और 218 दुग्ध संघों के साथ 1.6 करोड़ दुग्ध उत्पादक जुड़े हैं। निजी डेयरियों सहित लगभग 850 लाख लीटर दूध की प्रतिदिन खरीददारी होती है। जबकि डेयरी सहकारी समितियों (डीसीएस) से खरीदे गए दूध की कीमत 120 करोड़ रुपये प्रति दिन है। साप्ताहिक और 10 दिनों के भुगतान चक्र के लिए विविध भौगोलिक क्षेत्रों में फैले लाखों दूध उत्पादकों को वितरण के लिए भारी राशि की जरूरत है।