मुंबई = ठाकरे से शाहरुख खान की मुलाकात के बाद ये रुकावट तो लगभग दूर मानी जा रही है कि ठाकरे की पार्टी इस फिल्म का कहीं कोई विरोध नहीं करेगी, लेकिन रईस को अभी एक और चुनौती का सामना करना है। रईस को अभी सेंसर बोर्ड का सामना करना है और ये चुनौती इसलिए कठिन बताई जा रही है कि मुस्लिमों का एक वर्ग इस फिल्म का विरोध कर रहा है। लखनऊ में शुक्रवार को नमाज के बाद इस फिल्म के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया और वहां की स्थानीय अदालत में इस फिल्म के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है। इस विरोध पर सेंसर बोर्ड की भी नजर टिकी हुई है।
सेंसर बोर्ड के एक अधिकारी के मुताबिक, हम अपनी गाइड लाइंस से चलेंगे और कोई ऐसा सीन पास नहीं करेंगे, जिससे समाज या धर्म को लेकर किसी की भावनाएं आहत हों। माना जा रहा है कि इस सीन को लेकर सेंसर इस फिल्म का रास्ता रोक सकता है। सेंसर बोर्ड ने अगर अपना रवैया कड़ा किया, तो मुमकिन है कि इसकी रिलीज को लेकर नया संकट पैदा हो जाए। ये संकट इसलिए बढ़ सकता है कि धार्मिक विरोध के मुद्दे को फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया खारिज कर चुके हैं और कह चुके हैं कि फिल्म में ऐसा कोई सीन नहीं है, जिससे किसी की भावना को ठेस पंहुचे। ढोलकिया तो किसी भी सीन को हटाने की संभावना से मना कर चुके हैं, लेकिन अगर सेंसर बोर्ड का आदेश हुआ, तो फिर उनको ऐसा करना पड़ेगा। वैसे तो हर निर्माता के पास सेंसर बोर्ड के फैसले को चुनौती देने का अधिकार होता है, लेकिन रईस को लेकर इतना वक्त नहीं बचा है कि रईस के मेकर एपीलेट ट्रिब्यूनल में जाकर चुनौती दें। अगर सेंसर बोर्ड के कहने पर विवादित सीन और संवाद हटा दिए जाते हैं, तभी फिल्म तय समय पर रिलीज हो सकती है। सूत्र बता रहे हैं कि फिल्म में कई और ऐसे सीन तथा संवाद हैं, जिनको लेकर सेसंर कठोर हो सकता है।
एक और दिलचस्प बात कही जा रही है कि सेंसर बोर्ड के मौजूदा चेयरमैन पहलाज निहलानी भी रईस और काबिल के टकराव से नाखुश हैं और वे इसके लिए रईस को ज्यादा जिम्मेदार मानते हैं। उनके हवाले से कहा जा रहा है कि खास तौर पर नोटबंदी की गंभीर समस्या को देखते हुए इस टकराव को टाला जाना चाहिए था, ताकि दोनों फिल्मों का नुकसान कम हो। मौजूदा हालत में नोटबंदी की मार दोनों फिल्मों को भारी पड़ेगी। पहलाज निहलानी सेंसर बोर्ड के चेयरमैन होने के नाते इस मामले में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि सेंसर में अगर रईस की गाड़ी फंस गई, तो राकेश रोशन की बांछे खिल सकती हैं। अब इस बारे में अगला दांव तभी सामने आएगा, जब रईस की पेशी सेंसर बोर्ड में होगी।
ऐसा नहीं है कि शाहरुख खान और रितिक रोशन की फिल्में पहली बार एक दूसरे से टकरा रही हैं। ये टकराव पहले भी हो चुका है। सन 2000 में जब 27 अक्तूबर को रितिक रोशन और संजय दत्त को लेकर बनी मिशन कश्मीर रिलीज हुई थी, तो ठीक उसी दिन यशराज में बनी आदित्य चोपड़ा की फिल्म मोहब्बतें भी रिलीज हुई थी, जिसमें शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिकाओं में थे और इस टकराव में मोहब्बतें को ज्यादा सफलता मिली थी, जबकि मिशन कश्मीर बाक्स आफिस पर कमजोर साबित हुई थी।