अब आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सकों का भी पंजीकरण अनिवार्य.
Uttar Pradesh.लखनऊ, 13 अप्रैल (हि.स.)। अब आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों को भी चिकित्साभ्यास करने के लिए जनपद के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय में अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा।
क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी डा. शिवशंकर त्रिपाठी ने बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुपालन में दो माह के अन्दर पंजीकरण के लिए आवेदन करने को कहा गया था किन्तु अभी तक लगभग 80 आवेदन ही प्राप्त हुये हैं, जबकि आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्वति बोर्ड (पूर्व नाम-भारतीय चिकित्सा परिषद) उ0प्र0 लखनऊ में लगभग 3500 चिकित्सक जनपद लखनऊ में चिकित्साभ्यास हेतु पंजीकृत है।
उल्लेखनीय है कि फर्जी बीएएमएस व बीयूएमएस डिग्री लिखकर चिकित्सा अभ्यास करने वालों के विरूद्व यूपी मेडिसिन एक्ट-1939 की धारा-33 के प्राविधानानुसार कार्यवाही करने हेतु रजिस्ट्रार आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्वति बोर्ड उप्र लखनऊ द्वारा दिनांक 15.11.2016 को प्रदेश के समस्त जिलाधिकारी, समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पुलिस अधीक्षक एवं समस्त क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एव यूनानी अधिकारी को पत्र लिखकर यह तथ्य संज्ञान में लाने हेतु निर्देश जारी किये हैं कि प्रदेश में अधिकांश ऐसे चिकित्सकों द्वारा आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्वति से चिकित्साभ्यास किया जा रहा है जिनके नाम की प्रविष्टि राज्य रजिस्टर में वैद्य हकीम के रूप में नहीं है ऐसे लोग अपने नाम के आगे फर्जी ढंग से बीएएमएस व बीयूएमएस की उपाधि लिखकर चिकित्सा अभ्यास कर रहे हैं। कुछ चिकित्सकों द्वारा आयुर्वेदिक तथा यूनानी डिग्री एवं फर्जी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्रों का भी प्रयोग किया जा रहा है। प्राप्त शिकायतों को गम्भीरता से लेते हुये बोर्ड द्वारा ऐसे चिकित्सकों के विरूद्व यूपी मेडिसिन एक्ट-1939 की धारा-33 के अधीन कार्यवाही करने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
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एतएव जनपद में चिकित्साभ्यास कर रहे आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सक जो आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्वति बोर्ड से पंजीकृत हैं और वे चिकित्सा अभ्यास जनपद लखनऊ की सीमा के अन्तर्गत कर रहे हैं वे अपना पंजीकरण क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एव यूनानी अधिकारी लखनऊ के कार्यालय में दिनांक-20.04.2017 तक अवश्य रूप से करा लें ।
इसके उपरान्त इस कार्यालय में पंजीकृत कराये बिना जो भी आयुर्वेदिक एव यूनानी चिकित्सक प्रतिष्ठान अभ्यास करते हुये पायें जायेंगे उनके विरूद्व एक्ट में निहित प्राविधानों के तहत कड़ी कार्यवाही की जायेगी। यह भी संज्ञान में आया है कि तमाम चिकित्सक ऐसे हैं जो प्रदेश के बाहर से या अन्य जिले से आकर होटल या धर्मशाला में बैठकर आयुर्वेद यूनानी पद्वति से रोगियों का इलाज करते हैं तो उन्हें भी अब इस कार्यालय में बिना पंजीकरण कराये चिकित्साभ्यास की अनुमति नहीं दी जायेगी। जगह-जगह सड़क के किनारे तम्बू लगाकर खानदानी एवं अनेको नाम से आयुर्वेदध्यूनानी दवाखाना चलाने वालों के पंजीकरण की भी जाँच की जाएगी। यदि वे अवैध डिग्री या डिप्लोमा एवं बिना रजिस्ट्रेशन के अनियमित ढंग से चिकित्साभ्यास करते हुए पाये जाते हैं तो उनके विरूद्ध भी कठोर कार्यवाही की जायेगी।