नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत में शादियां टूटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। अपनी शादी को तोड़ने से ज्यादा कष्टकारी कुछ नहीं हो सकता। यह बहुत ही मुश्किल फैसला होता है। हालांकि देश में तलाक के लिए कानून हैं। लेकिन कानूनी प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है। तब भी पिछले एक दशक में देशभर में तलाक दर तीन गुना हो गई है। विशेषज्ञों का मानना हैं कि भारत में तलाक़ हिंसा, जिसे क़ानूनी भाषा में क्रूरता कहते हैं, के कारण होते हैं। लेकिन अगर आपसी सहमति या व्यभिचार का सबूत हो तो तलाक जल्दी हो जाता है।
हालांकि हिंसा का स्तर लंबे समय से बहस का मुद्दा बना हुआ है। यानी तलाक के लिए घरेलू हिंसा का स्तर कितना होना चाहिए, यह तय नहीं है। इसीलिए अदालतों को अजीबो-ग़रीब दलीलों पर फ़ैसला सुनाना पड़ता है। कोई इस आधार पर तलाक मांगता है कि उसकी पत्नी को मुंहासे हैं, तो कोई इस आधार पर कि पत्नी सेक्स की मांग पूरी नहीं करती। मुंबई हाईकोर्ट ने साल 2011 में एक फ़ैमिली कोर्ट के उस आदेश को ख़ारिज कर दिया था, जिसमें एक भारतीय नौसैनिक को तलाक की इजाज़त दे दी गई थी। उसने अपनी पत्नी पर लगातार पार्टी करने का आरोप लगाया था। 42 साल के उस आदमी की शादी 1999 में हुई थी और वह भी मस्ती के लिए पार्टियों में जाने का आदी था। कोर्ट ने कहा कि यह नतीजा नहीं निकाला जा सकता कि महिला ने उस आदमी को किसी प्रकार से शारीरिक या मानसिक हिंसा का शिकार बनाया था। मुंबई में एक आदमी ने अपनी पत्नी की पोशाक पहनने की पसंद के आधार पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए तलाक़ मांगा। वह अपनी पत्नी से इसलिए नाराज़ था, क्योंकि वह काम पर पारंपरिक भारतीय पोशाक पहनने की बजाय शर्ट और पैंट पहन कर जाती थी।
एक फ़ेमिली कोर्ट ने तलाक़ का आदेश जारी किया, लेकिन पिछले मामले की तरह ही बांबे हाईकोर्ट इस पर सहमत नहीं हुआ। एक आदमी ने अपनी पत्नी से तलाक़ की अपील की और कारण बताया कि उसे पत्नी के मुंहासे से सदमा झेलना पड़ रहा है। अपनी तलाक़ की अर्ज़ी में उसने तर्क दिया था कि उसकी पत्नी के चेहरे पर मुंहासे और दानों की वजह से 1998 में उसे अपने हनीमून के दौरान वैवाहिक संबंध बनाने में रुकावट आई थी। पति के पक्ष में फ़ैसला देते हुए एक फ़ैमिली कोर्ट ने कहा कि बेशक डरावनी स्थिति पत्नी के लिए बहुत दुखद है। लेकिन यह पति के लिए भी बहुत सदमा पहुंचाने वाली है। कोर्ट ने कहा, महिला ने अपनी बीमारी के बारे में पति को न बताकर, उसने अपने पति के साथ फ़्रॉड किया है। लेकिन जब यह मामला बांबे हाईकोर्ट में पहुंचा तो वहां यह ख़ारिज हो गया।
दुनियाभर में आम तौर पर यौन असंतुष्टि तलाक़ का कारण है, लेकिन मुंबई में एक आदमी ने अपनी पत्नी से इस आधार पर तलाक़ की मांग की, क्योंकि पत्नी की ओर से बहुत अधिक सेक्स की मांग थी। अपनी तलाक़ की अर्ज़ी में उसने अपनी पत्नी के बारे में कहा कि जबसे शादी हुई है, वह बहुत अधिक सेक्स और इसके प्रति कभी न संतुष्ट होने वाली महिला रही। उसने आरोप लगाया कि वह सेक्स के लिए तब भी मजबूर करती थी, जब वह बीमार होता था और मना करने पर दूसरे आदमी के साथ सोने की धमकी देती थी। मुंबई की एक फ़ैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में फ़ैसला दिया और पत्नी के पेश न होने पर उसे तलाक़ की इजाज़त दे दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली आदालत के उस फ़ैसले को सही ठहराया, जिसमें कहा गया था कि पति के दोस्तों के लिए चाय बनाने से मना करने से पति ने अपमानित महसूस किया और अन्य मामलों के अलावा बिना बताए पत्नी द्वारा गर्भपात करा देना मानसिक प्रताड़ना के बराबर है और तलाक़ का पर्याप्त आधार भी।