स्मृति ईरानी ने हस्तशिल्पकारों के लिए हेल्पलाइन सेवा शुरू की
नई दिल्ली, 05 मई (हि.स.)। केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को यहां विशेष वस्त्र और हस्तशिल्प संवर्धन के लिए आयोजित पहली दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में हस्तशिल्पकारों के लिए हेल्पलाइन सेवा की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि भौगोलिक संकेत (जीआई) न केवल शिल्पकारों को सबल बनाता है बल्कि ग्राहक का भी संरक्षण करता है।
स्मृति ईरानी ने कहा कि हैंडीक्राफ्ट हैंडलूम और वस्त्र के इतिहास में यह पहला मौका है जब हम सभी जीआई के संदर्भ में एक साथ मंच पर आये हैं। उन्होंने कहा कि जीआई के महत्व को और केंद्र सरकार द्वारा जीआई को धरातल पर उतारने के लिए शिल्पकार को व बुनकर को क्या मदद मिल सके, इसके लिए बुनकर और शिल्पकार के सर्विस सेंटर पर हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के हर ऑफिस में जीआई का हेल्पडेस्क निश्चित रूप से बहुत जल्द स्थापित किया जाएगा ताकि नीचे तक शिल्पकार को बुनकर को इस बात की मदद पहुंचे।
उन्होंने कहा कि हैंडीक्राफ्ट हेल्पलाइन 18002084800 पर बुनकर फोन से ही समस्त जानकारी हासिल कर सकेंगे। यह हेल्पलाइन सेवा हिंदी और अंग्रेजी के अलावा अन्य प्रादेशिक भाषाओं में भी जानकारी मुहैया कराएगी। स्मृति ने कहा कि कार्यशाला में देशभर के सभी राज्यों से वो प्रतिष्ठित विशेषज्ञ, कॉरपोरेशन के प्रतिनिधि, शिल्पकार बुनकर उपस्थित हैं जो जीआई के महत्व को समझते हैं और जो नहीं समझते वो कुछ और जानकारी प्राप्त करने कार्यशाला में आये हैं। इसमें राष्ट्रीय, प्रादेशिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञ एकत्र हुए हैं।
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स्मृति ने कहा कि कई लोगों को यह भ्रम होता है कि भौगोलिक संकेत (जीआई) मात्र उनकी विरासत है जो केवल अंग्रेजी बोलते हैं। पर आज इस मंच पर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात से जो शिल्पकार बुनकर आये वो इस बात का संकेत देने के लिए की जीआई के बारे में जानकारी प्राप्त करना मूलत: हर शिल्पकार बुनकर के लिए विशेष रूप से क्यों महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2009-10 के आंकड़ों के अनुसार बुनकर परिवार के मात्र एक प्रतिशत बच्चे ही कॉलेज और विश्वविद्यालय में दाखिला लेते हैं। इसकी वजह उन परिवारों की आर्थिक स्थिति है। इसी को ध्यान में रखते हुए एनआईओएस और इग्नू को स्कूली शिक्षा से जोड़ते हुए तय किया गया है कि बीपीएल परिवार के बुनकर और शिल्पकार परिवारों के बच्चों की शिक्षा के लिए 75 प्रतिशत फीस केंद्र सरकार भरेगी।