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सरकार के बजाय शिक्षकों के हाथ में हो शिक्षा व्यवस्था : कानिटकर

नई दिल्ली, 03 नवंबर (हि.स.)। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने शुक्रवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्याल (जेएनयू) परिसर से सटे भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के सभागृह में आयोजित युवा विमर्श 2017 में उच्च शिक्षा में सुधार विषय पर कहा कि सरकार के बजाय शिक्षा व्यवस्था शिक्षकों के हाथ में सौंपा जाना चाहिए। कानिटकर ने मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को केवल शिक्षित बेरोजगार बनाने वाली करार दिया। इसे सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने व स्वायत्त शिक्षा आयोग बनाने की सलाह दी। 

मुकुल कानिटकर ने इस दौरान युवाओं के समक्ष शिक्षा के उद्देश्य पर पुनर्विचार, शिक्षा के संचालन, इसके पाठ्यक्रम और शिक्षा की विधि जैस चार बिन्दुओं पर विचार करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि केवल व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण नहीं हो सकता। उन्होंने मौजूदा शिक्षा व्यवस्था पर हमला करते हुए कि आज शिक्षा व्यक्तिवादी है जबकि इसे सामूहिक होना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि देश में स्कूल व उच्च शिक्षा का सचिव केवल स्नातक (अर्थात एक आईएएस अधिकारी होता है) जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। आलम ये है कि विश्वविद्यालय का कुलपति शिक्षा संबंधी मामलों के लिए उसी स्नातक सचिव को पत्र लिखता है। उन्होंने इसरो का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां एक भी आईएएस अधिकारी नहीं हैं| इसीलिए वह सफलता की बुलंदियों को छू रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के हाथों में जब तक शिक्षा रहेगी तब तक शिक्षा का सुधार संभव नहीं हो सकेगा। 

कानिटकर ने कहा कि शिक्षा तंत्र को सरकारी अनुदान के मोह को त्यागना होगा और आर्थिक मदद के लिए समाज के पास जाना होगा। कानिटकर ने उच्च स्तर पर शिक्षकों द्वारा कक्षा में पढ़ाये जाने के स्थान पर स्वाध्याय पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षकों की ओर से केवल मार्गदर्शन की भूमिका निभाने की वकालत की। 

उन्होंने 1986 की शिक्षा नीति को मैकाले की शिक्षा पद्धति से भी अधिक घातक करार देते हुए कहा कि मैकाले ने भी वह काम नहीं किया जो मौजूदा नीति ने किया है। असल में इसमें शिक्षा को नौकरी से जोड़ दिया गया। ऐसे में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही हो रहा है। कानिटकर ने स्कूली शिक्षा की तुलना में गुरुकुल शिक्षा को श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि आज वहां पढ़ने वाला छात्र मजबूरी में किसी खास विषय की पढ़ाई नहीं करता। इसके चलते वह भविष्य में केवल नौकरी पाने की चाह रखने की बजाय अन्य लोगों को नौकरी देने की सोच लेकर समाज में निकलता है। 

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्याल (जेएनयू) परिसर से सटे आईआईएमसी में 4 नवम्बर तक चलने वाले इस समारोह का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने गुरुवार को किया था। लगातार दूसरे वर्ष हो रहे इस समारोह का आयोजन यूथ यूनाइटेड फॉर विजन एंड एक्शन ‘युवा’ नामक संस्था ने किया है। इस वार्षिक छात्र सम्मेलन में शामिल छात्रों और युवाओं को देश के जाने माने शिक्षाविद, वरिष्ठ पत्रकार, बुद्धिजीवी और समाजसेवी संबोधित करेंगे। इसके अलावा एडवोकेट मोनिका अरोड़ा, ऐश्वर्या भाटी भी छात्रों को संबोधित करेंगे।

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