शारदीय नवरात्र, सातवें दिन कालरात्रि के दरबार में श्रद्धालुओं का लगा तांता
वाराणसी, 27 सितम्बर (हि.स.)। शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि पर बुधवार को विश्वनाथ गली स्थित भगवती कालरात्रि के दरबार में कड़ी सुरक्षा के बीच आस्था वानों का रेला उमड़ पड़ा। मां के दरबार में भोर से देर शाम तक श्रद्धालु शीष नवा घर परिवार में श्री समृद्धि के लिए झोली फैलाते रहे। आदिशक्ति का यह सातंवा स्वरूप काल का नाश करने वाला हैं।
भगवती के सिर के बाल बिखरें हैं वह त्रिनेत्र धारिणी हैं, चार भुजाएं हैं। बाई तरफ नीचे वाली भुजा में खड्ग तथा ऊपर वाली भुजा में लोहे का कांटा है। दाहिनी तरफ नीचे वाली भुजा अभय मुद्रा और ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में है। देवी के नथुनों से अग्नि की ज्वाला फूटती रहती है। मां का वाहन गर्दभ है। रूप दिव्य किंतु सदैव शुभफल प्रदान करती हैं। इसलिए इनका एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है।
सातवें दिन की पूजा में साधक का मन ‘सहस्रवार चक्र’ में स्थित रहता है और मां की कृपा से ब्रम्हांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। काल जो सबको काल कलवित करता है, भगवती उसका भी विनाश करने वाली है। यदि कोई साधक या भक्त अकाल मृत्यु के भय से ग्रसित होता है तो मां उसे भयमुक्त करती हैं। असुर, भूत-प्रेत आदि मां के स्मरण मात्र से पलायन कर जाते हैं।