व्हाट्स एप, फेसबुक यूजर्स के डाटा की सुरक्षा के लिए कानून बनाने पर केंद्र सरकार गंभीर
नई दिल्ली, 18 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय कांस्टीट्यूशन बेंच ने व्हाट्सएप में प्राईवेसी से जुड़े मसले पर मंगलवार से सुनवाई शुरू की । जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली कांस्टीट्यूशन बेंच के समक्ष केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि केंद्र सरकार व्हाट्स एप और फेसबुक पर युजर्स के डाटा की सुरक्षा के लिए कानून बनाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल ने कहा कि अगर कानून बनता है तो उपभोक्ताओं के डाटा को शेयर करने से रोका जाएगा। रोहतगी ने कहा कि ये सारे एप उपभोक्ताओं का सोशल मीडिया पर प्रोफाइल बनाते हैं और बाद में उस डाटा को बेच देते हैं।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को व्हाट्सएप में प्राईवेसी से जुड़े मसले पर विचार करने के लिए कांस्टीट्यूशन बेंच गठित किया था । याचिकाकर्ता कर्मन्या सिंह के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में कहा था कि व्हाट्सएप और फेसबुक डाटा शेयर कर संविधान की धारा 21 का उल्लंघन कर रहे हैं ।
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सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा था कि व्हाट्सएप और फेसबुक के 157 मिलियन यूजर हैं लिहाजा ये एक पब्लिक यूटिलिटी सर्विस है । अगर यह पब्लिक यूटिलिटी सर्विस है तो सरकार को लोगों के व्यक्तिगत आंकड़ों की सुरक्षा करनी चाहिए । उन्होंने कहा कि फेसबुक और व्हाट्सएप को टेलीकॉम सर्विस प्रदाता कंपनी की तरह व्यवहार होना चाहिए। अगर ये व्यक्तिगत आंकड़ों की चोरी करते हैं तो उनका लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए । हालांकि सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फेसबुक और व्हाट्सएफ मुफ्त में सेवा देते हैं और किसी को सेवा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है लेकिन बाद में हरीश साल्वे की दलीलों को बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार और फेसबुक को नोटिस जारी किया ।
आपको बता दें कि याचिकाकर्ता कर्मन्या सिंह छात्र हैं । उनके साथ एक और श्रेया सेठी ने दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी और कहा था कि व्हाट्स एप की नई प्राईवेसी पॉलिसी से यूजर्स के मौलिक अधिकारों का हनन होता है ।