विरासत पर्यटन के लिए मीटर-गेज मार्गों को संरक्षित करेगा रेलवे
नई दिल्ली (ईएमएस)। पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण वाले पांच प्रमुख पहाड़ी नेटवर्क से परे भारतीय रेलवे अपनी पुरानी पांच मीटर-गेज पटरियों को संरक्षित करने की योजना बना रहा है। इन पटरियों का निर्माण ब्रिटिश युग के शुरुआती दिनों में विरासत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, मीटर-गेज मार्गों को संरक्षित करने की रणनीति के तहत भारतीय रेलवे कुछ मीटर-गेज लाइनों को संरक्षित करने की योजना बना रहा है, जिनमें ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता है।
मीटर-गेज रेलमार्गों को संरक्षित करने का फैसला तीन फरवरी की एक बैठक में लिया गया। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने भारतीय रेलवे की विरासत संरचनाओं को बढ़ाव देने के लिए मीटर-गेज रेलमार्गों के संरक्षण पर जोर देते हुए अधिकारियों से पर्यटन को बढ़ावा देने वाली रेल पटरियों की पहचान करने को कहा। उन्होंने कहा, इस तरह से हमने पांच रेल मार्गों की पहचान की। इसमें गुजरात में 42.27 किलोमीटर की विसवादर-तलाला लाइन, 16 किलोमीटर की महू-पातालपानी-कलाकंद लाइन मध्य प्रदेश में, 162 किलोमीटर मावली जंक्शन-मारवाड़ जंक्शन लाइन राजस्थान में, 171 किलोमीटर की नैनपुर-मलानी लाइन उत्तर प्रदेश में और 47 किलोमीटर की माहुर-हरनगजाओ मीटर-गेज लाइन असम इनमें शामिल है। उन्होंने कहा, मीटर-गेज लाइनों में से चार चालू हालत में हैं, जबकि असम में स्थित एक लाइन पर अभी परिचालन नहीं हो रहा है। रेल मंत्रालय ने क्षेत्रीय रेलवे को इन रेल मार्गों के व्यावहारिक परिचालन की जांच करने के लिए लिखा है। उन्होंने कहा, क्षेत्रीय रेलवे द्वारा अप्रैल के तीसरे हफ्ते में एक बार प्रतिक्रिया मिल जाने के बाद मंत्रालय परियोजना को औपचारिक तौर पर लांच करेगा। पांच लाइनों में से कुछ का विवरण देते हुए अधिकारी ने कहा, विसवादर-तलाला मीटर-गेज लाइन गुजरात के गिर जंगल से होकर गुजरती है और इसलिए वहां रफ्तार पर प्रतिबंध है। वर्तमान में सिर्फ तीन रेलगाड़ियां दिन भर में इस खंड से गुजरती है। महू-पातालपानी-कलाकुंड लाइन के बारे में अधिकारी ने कहा कि यह सुरम्य पहाड़ों, घाटियों, सुरंगों से गुजरती हैं और चोरल व मलेदी नदियों को पार करती है। यह यात्रा खास तौर से बारिश के बाद बहुत यादगार हो जाती है।
यह लाइन ब्रिटिश शासन द्वारा करीब 150 साल पहले बिछाई गई थी और यह विंध्याचल पर्वत श्रृंखला से होकर गुजरती है। अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में नैनपुर-मैलानी मीटर-गेज रेलवे मार्ग दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र से होकर गुजरता है। रेलवे वर्तमान में इस खंड पर छह ट्रेनों का परिचालन कर रहा है। ट्रेनों को इस क्षेत्र में 30 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया जाता है। ब्रिटिश शासन काल में नेपाल के जंगलों व सीमा के जंगलों से लकड़ी के परिवहन के लिए इस ट्रैक को 19 सदी में बिछाया गया था। वर्तमान में पांच पहाड़ी ट्रेनों-दार्जिलिंग हिमालयन, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे, कांगड़ा वैली रेलवे व माथेरान हिल रेलवे-भारत में पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं।