नई दिल्ली (ईएमएस)। डेनमार्क की 52 साल की महिला से सामूहिक दुष्कर्म मामले में हाईकोर्ट ने पांच आरोपियों को निचली अदालत से मिली उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। फैसला सुनाते हुए जस्टिस एस. मुरालीधर और आईएस मेहता की पीठ ने कहा कि पीड़िता की गवाही और डीएनए रिपोर्ट से साफ है कि आरोपियों ने अपहरण कर महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पांच दोषियों की ओर से निचली अदालत के जून, 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली अपील खारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश साक्ष्यों से स्पष्ट है कि वारदात में सभी आरोपी शामिल थे।वहीं, दूसरी ओर हाईकोर्ट ने निचली अदालत में हुई एक चश्मदीद गवाह की गवाही को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि इस गवाह को नैसर्गिक गवाह नहीं माना जा सकता है। चश्मदीद होने का दावा करने वाले उस व्यक्ति ने कहा कि था कि उसने आरोपियों को पीड़िता के साथ अपराध करते देखा था। यह है मामला :पुलिस के अनुसार, तीन नाबालिग सहित नौ लोगों ने 14 जनवरी 2014 की रात को भारत घूमने आई 52 वर्षीय डेनमार्क की महिला के साथ कनॉट प्लेस के पास चाकू के बल पर सामूहिक दुष्कर्म किया था। साथ ही महिला से लूटपाट भी की थी। इस मामले में निचली अदालत ने पांच आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाईथी।