यात्री और माल ढुलाई में गिरावट रेलवे के लिए चिंता का विष
नई दिल्ली, 13 जनवरी (हि.स.)। रेल मंत्रालय यात्रियों के आवागमन और माल ढुलाई की क्षमताओं में बढ़ोत्तरी करने के लिए अनेक कदम उठा रहा है। इसी के मद्देनजर परिवहन अनुसंधान और प्रबंधन केंद्र (सीटीआरएएम) के सहयोग से रेल मंत्रालय ने “टिकाऊ विकास के लिए रेलवे’’ विषय पर शनिवार को एक सम्मेलन आयोजित किया। इस 19वें राष्ट्रीय रेल परिवहन सम्मेलन में विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि यात्रियों के आवागमन और माल की ढुलाई में रेलवे का प्रतिशत घट रहा है, जोकि चिंता की बात है। इस गिरावट का दूर करने के लिए भारतीय रेल यात्री किराए और माल भाड़ा शुल्क में समुचित फेरबदल करने के लिए प्रयत्नशील है।
रेल बोर्ड के सदस्य (यातायात) मोहम्मद जमशेद ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सड़क यातायात की तुलना में रेल से आवागमन दुर्घटना, प्रदूषण और किराया सभी लिहाज से बेहतर है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के हिसाब से लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने और माल ढोने दोनों ही हिसाब से देखें तो रेल से बहुत कम प्रदूषण होता है। इसमें बहुत कम कार्बन उत्सर्जन होता है इसलिए रेल टिकाऊ विकास के लिए बहुत आवश्यक यातायात का साधन है, जो देश में होना चाहिए।
उन्होंने दिल्ली और मुंबई की सड़कों से निजी वाहनों की भीड़ को कम करने का श्रेय दिल्ली मेट्रो और मुंबई महानगरीय रेल सेवा को देते हुए कहा कि यह अधिकांश लोगों का आवागमन का एक बहुत अच्छा माध्यम बन गया है। उन्होंने कहा कि 28 लाख लोग प्रतिदिन दिल्ली मेट्रो में यात्रा कर रहे हैं। इसी तरह से मुंबई में भारतीय रेलवे के मुंबई उपनगरीय रेलवे में 70 लाख लोग प्रतिदन मुंबई, वेस्ट्रन और सेंट्रल में यात्रा करते हैं।
मोहम्मद जमशेद ने कहा कि रेलवे में पहले कई दशक तक जिस तरह का निवेश नहीं हुआ है। इसके चलते भारतीय रेलवे की ग्रोथ उस तरह की नहीं हो पाई जैसी हम चाहते थे। लेकिन अब हमने देखा कि पिछले तीन साल से जो योजनाएं बनाई गई हैं, जो निवेश रेलवे में आ रहा है, उसके चलते हम देखेंगे कि अगले दो-तीन सालों में हमारी क्षमता बहुत अधिक बढ़ जाएगी। इस क्षमता में हम प्रतिवर्ष साढ़े तीन हजार किलोमीटर लाइन जोड़ते हैं, जबकि 5-6 साल पहले हम 500 से 700 किलोमीटर ही जोड़ते थे। हम लोग पूरे देश का इलेक्ट्रीफिकेशन करने वाले हैं। उससे डीजल की खपत कम होगी। बड़ी लाइन का काम 33 हजार किलोमीटर रह गया है, उसे भी अगले चार साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
जमशेद ने कहा कि रेलवे की क्षमता बढ़ाने में 2015 से 2020 के बीच में 8 लाख 56 हजार करोड़ का निवेश तय किया गया था। पहले तीन साल निकल गए हैं इसलिए यह जरूर बताना चाहूंगा कि ये सिर्फ लक्ष्य नहीं है क्योंकि अब तक हम 94 हजार करोड़ पहले साल में ही खर्च किया है। 1 लाख 10 हजार करोड़ दूसरे साल में और इस साल में भी 1 लाख 20 करोड़ का निवेश होगा जो नई लाइनों और दोहरीकरण में जा रहा है। थर्ड लाइन, फ्रेट कोरिडोर, हाई स्पीड रेलवे, सेमी हाई स्पीड रेलवे, नया रोलिंग स्टॉक, हाई हॉर्स पावर के लोकोमोटिव इन सबमें किया जा रहा है।
इस अवसर पर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह ने कहा कि देश के प्रमुख महानगरों को सस्ते ट्रांसपोर्ट के लिए रेलवे की कनेक्टिविटी की जरूरत है। दिल्ली मेट्रो के कारण 4 लाख वाहन प्रितदिन सड़क पर नहीं आते। समारोह में एशियन डेवलपमेन्ट बैंक (एडीबी) के कंट्री डायरेक्टर केनिची योकोयामा ने इंडस्ट्रियल विकास के लिए कॉरिडोर के विकास पर जोर दिया।