मालेगांव धमाके के आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और एनआईए को नोटिस
नई दिल्ली, 29 जनवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में मालेगांव बम विस्फोट के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित की ट्रायल कोर्ट द्वारा अनलॉफुल एक्टिविटी पोहिबिशन एक्ट (यूएपीए) के आरोप निरस्त करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एनआईए और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
पुरोहित ने ट्रायल कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान के खिलाफ दायर याचिका को बांबे हाईकोर्ट द्वारा खारिज करने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हाईकोर्ट में कर्नल पुरोहित ने जो याचिका दायर की थी उसमें कहा गया था कि यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की परमिशन देने वाले राज्य के न्याय विभाग को ट्रिब्यूनल से मंजूरी लेनी होती है लेकिन इस मामले में जनवरी 2009 में अनुमति दी गई, जबकि ट्रिब्यूनल का गठन अक्टूबर 2010 में किया गया। इस लिहाज से यह मंजूरी गलत है।
याचिका में कर्नल पुरोहित ने एनआईए कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान को इस आधार पर निरस्त करने की मांग की है कि उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत शुरू किए गए ट्रायल के लिए वैध स्वीकृति लेना अनिवार्य है। इससे पहले हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ट्रायल के दौरान स्वीकृति के मुद्दे पर भी फैसला किया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि कानून के मुताबिक जब बचाव का अधिकार आरोपी के पक्ष में दिया जाता है, तो उसके अनुपालन को सख्ती से समझना चाहिए और तय कानून का पालन होना चाहिए। संज्ञान से पहले मंजूरी न मिलना सिर्फ तकनीकी दोष नहीं है। इसलिए वैध मंजूरी के अभाव में अभियोजन को जारी रखना कानून की दृष्टि से सही नहीं है।
याचिका में उन्होंने यह भी कहा कि अभियुक्त के खिलाफ सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना ट्रायल का कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा और ये कानून का दुरुपयोग होगा। कर्नल पुरोहित ने पिछले 18 दिसंबर के बांबे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है जिसने ट्रायल कोर्ट के संज्ञान लेने के वक्त वैध मंजूरी होने ना होने पर विचार करने से इंकार कर दिया था।