जगदलपुर, = छग और सीमावर्ती राज्य के जनजातिय क्षेंत्र के लोगों की संस्कृति को संरक्षित करने के उद्देश्य से 1972 में स्थापित केन्द्रीय मानव विज्ञान संग्रहालय की 40 साल पुरानी लाइब्रेेरी के सात संदर्भ ग्रंथ 24 साल से गायब हैं।
बताया गया कि यहां के अधिकारियों ने अपने व्यक्तिगत संबंधों के चलते जिला के कुछ प्रभावी अधिकारियों को लाइब्रेरी की यह किताबें उपलब्ध कराई थीं, लेकिन उन्होंने किताबें नहीं लौटाई। बता दें कि इस संग्रहालय में फिलहाल सात हजार 598 किताबें हैं और इनका उपयोग समयानुसार बस्तर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र. छात्राओं के अलावा कई शोधकर्ता और विभिन्न विभागों के अधिकारी बस्तर को समझने के लिए प्रयास करते आ रहे हैं। वर्ष 1976 में प्रारंभ मानव विज्ञान संग्रहालय में वर्ष 1862 में तैयार जी ग्लासफोर्ड की रिपोर्ट के अलावा ग्रीग्सन, वेरियर एल्विन द्वारा बस्तर पर आधारित कई रिपोर्ट हैं। वहीं केदारनाथ ठाकुर, लाला जगदलपुरी आदि की कई महत्वपूर्ण किताबें हैं। वाचनालय के राजेश रोशन ने बताया कि वर्ष 1993 और उसके बाद दी गई सात किताबों को 24 साल बाद भी लाइब्रेरी को लौटाया नहीं गया है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि पिछले 24 साल में पदस्थ अधिकारियों ने अपने व्यक्तिगत संबंधों के चलते जिले के कुछ प्रभावी लोगों को किताबें दी थीं, लेकिन उन्होंने उक्त किताबें नहीं लौटाईं और अपने स्थानांतरण के साथ किताबों को भी ले गए। इधर, संग्रहालय की किताबों को बचाने के लिए अब लोगों को पुरानी किताबों की मूल प्रति देना बंद कर दिया गया है। नई व्यवस्था के चलते चाही गई किताब की फोटो कापी उपलब्ध कराई जा रही है। इधर बस्तर विवि के छात्रों ने बताया कि मानव संग्रहालय की अधिकांश किताबें अंग्रेजी में हैं, इसलिए हिन्दी माध्यम से पढ़ाई करने वाले विद्याथियों को कठिनाई हो रही है। संग्रहालय प्रबंधन को चाहिए कि वह संग्रहालय की पुरानी किताबों, शोधपत्रों आदि का हिन्दी अनुवाद कराएं, ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्र और शोधार्थी इनका उपयोग कर सकें।