मराठा कालीन इस हनुमान मंदिर में अक्सर होते हैं चमत्कार
हमीरपुर, 30 जनवरी : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिला मुख्यालय में मराठा कालीन मंदिर में हनुमान जी की स्थापित दुर्लभ प्रतिमा बड़ी ही चमत्कारी है। यहां हर किसी की मनोकामना पूरी होती है इसीलिये अब इस मंदिर में हर साल धार्मिक अनुष्ठानों की धूम मचती है। पुजारी की माने तो हनुमान जी की ऐसी प्रतिमा भारत में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगी। प्रतिमा भी पताली बतायी जा रही है जो बहुत की चमत्कारी है।
अंग्रेज अफसर भी परिवार सहित हनुमान जी का करते थे दर्शन
जिला मुख्यालय में ट्रेजरी के ठीक पीछे नर्मदेेश्वर मंदिर स्थापित है। यहां किसी जमाने में पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित थी। प्रतिमा के ऊपर चूने मिट्टी और कंकरीट से मठ (छत) पड़ी थी। इतिहासकार डा. भगवानदीन ने बताया कि यह मंदिर मराठा कालीन है, जहां अंग्रेज अफसर भी अपने परिवार के साथ हनुमान जी के दर्शन करने आते थे। शुरू में मंदिर के आसपास जंगल था, जहां से लोग निकलने में डरते थे।
इस मंदिर में सात दशक पहले एक मौनी बाबा ने आकर डेरा जमाया था। मंदिर में वह पूजा पाठ करने के साथ ही लोगों की छोटी मोटी बीमारी भी हनुमान जी की कृपा से ठीक करते थे।
मौनी बाबा के बारे में रमेडी हमीरपुर के सब्बल अवस्थी ने मंगलवार को बताया कि मौनी बाबा कहां से आये थे यह हमीरपुर के लोग कभी नहीं जान पाये थे मगर उनमें अद्भुत चमत्कार था। साढ़े तीन दशक पहले जिला राजकीय अस्पताल में अधीक्षक डॉ. टंडन भी मौनी बाबा के चमत्कार के आगे झुक गये थे।
सब्बल अवस्थी के मुताबिक, अधीक्षक के कार्यालय में मौनी बाबा पर किसी डाक्टर ने टिप्पणी कर दी तो वहीं उसे दंड मिल गया था। डॉ. टंडन ने मौनी बाबा से मथुरा वृन्दावन का प्रसाद और खीर खाने की इच्छा की तो तत्काल पांच सेकेंड में मौनी बाबा ने उनकी इच्छा पूरी कर दी थी। यह चमत्कार देख डॉ. टंडन दंग रह गये थे। उसी समय मौनी बाबा के पैर भी उन्होंने पकड़ लिये थे। नगर के कई इलाकों में हनुमान के इस भक्त मौनी बाबा ने चमत्कार किये थे।
यहां के बुजुर्ग बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी, महेश अवस्थी का कहना है कि हनुमान जी का यह मंदिर साधारण नहीं है। इसमें अद्भुत चमत्कार अक्सर होते रहते हैं। इसीलिये इस मंदिर का जीर्णाेद्धार शिवाकांत तिवारी ने कराने के बाद हर साल धार्मिक अनुष्ठान भी कराते हैं। उन्होंने एक मंदिर का भी निर्माण कुछ दशक पहले हनुमान जी की मंदिर के ठीक बगल में कराया है। बताया जाता है कि इस मंदिर में मौनी बाबा के बाद कई पुजारी रहे। भगवानदीन मिश्रा के बाद उनके पुत्र सुरेश कुमार मिश्रा अब हनुमान जी की मंदिर के पुजारी हैं।
इन्होंने बताया कि एक राजकीय कर्मचारी बहुत परेशान था। उसकी गिनती सम्पन्न लोगों में होती है मगर नौकरी में इतना संकट आ गया तो वह परेशान हो गये। तब वह हर मंगलवार व शनिवार को मंदिर आकर हनुमान जी की प्रतिमा पर माथा टेकने लगे। इस प्रतिमा का चमत्कार भी देखिये कि कुछ ही महीने में हर संकट से उसे निजात मिल गयी। आज वह बिना कोई भय के नौकरी कर रहे हैं।
पुजारी ने बताया कि इस कर्मचारी की पत्नी घर में तीसरे खंड के जीने (सीढ़ी) से नीचे गिर गयी, मगर हनुमान जी का चमत्कार ही था कि महिला बिल्कुल सही सलामत रही। कोई भी खरोंच तक नहीं आयी। बाद में महिला ने हनुमान जी मंदिर में सुन्दर कांड का अनुष्ठान कराया था। पुजारी दावा है कि भारत के किसी भी हिस्से में हनुमान की ऐसी प्रतिमा नहीं है। यहां यह प्रतिमा एक फीट से भी कम है, मगर दोनों हाथ जोड़े खड़े मुद्रा में हनुमान जी की प्रतिमा सुबह, दोपहर और शाम को रंग बदलती रहती है। (हि.स.)।