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मजदूरो के हक़ के लिए लड़ने वाली अनसूया साराभाई की जयंती पर गूगल का डूडल

नई दिल्ली, 11 नवम्बर : भारत में स्त्री श्रम आंदोलन की अग्रदूत और कामगारों की पैरोकार रहीं अनसूया साराभाई की जयंती पर गूगल ने विशेष डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। 

अनसूया साराभाई ने बुनकर और कपड़ा उद्योग से जुड़ी मिलों में काम करने वाले मजदूरों के हितों की लड़ाई लड़ने के लिए वर्ष 1920 में मजदूर महाजन संघ नामक यूनियन का गठन किया था। 

anusyaअनसूया साराभाई का जन्म 11 नवम्बर, 1885 को अहमदाबाद के एक उद्योगपति परिवार में हुआ था। अल्पायु में ही उनके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया था। लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में अध्ययन के दौरान वह इंग्लैंड में फेबियन सोसाइटी से प्रभावित हुईं और वे सहृगेट आंदोलन में शामिल हो गईं। वे 1913 में भारत लौटीं और महिलाओं और गरीबों की भलाई के लिए काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने एक स्कूल भी खोला। उन्होंने 36 घंटे की पारी के बाद घर लौटने वाली महिला मिल कामगारों की दयनीय स्थिति देखने के बाद श्रम आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। 

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उन्होंने अहमदाबाद में 1914 की हड़ताल में कपड़ा कामगारों को संगठित करने में मदद की। वे 1918 ई. में एक महीने की लंबी हड़ताल में भी शामिल थीं, जहां बुनकर मजदूरी में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी मांग रहे थे और 20 प्रतिशत की पेशकश की जा रही थी। परिवार के एक दोस्त के रूप में गांधीजी, तब तक साराभाई के गुरु के रूप में अभिनय कर रहे थे। गांधी जी ने श्रमिकों की ओर से भूख हड़ताल शुरू की और श्रमिकों ने अंततः 35 प्रतिशत वृद्धि हासिल की। इसके बाद, 1920 में, अहमदाबाद टेक्सटाइल श्रम संघ (मजदूर महाजन संघ) का गठन किया गया। (हि.स.)।

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