बाढ़ की विभीषिका में कराह रहे लोग -पर्यटक स्थल चिपलुन व महाड में हर जगह बर्बादी का आलम
मुंबई. महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में स्थित रायगढ़ का महाड तहसील और रत्नागिरी का चिपलुन शहर 10 दिन पूर्व आई भयानक बाढ़ में तबाह हो गए. लोगों के आशियाने डूब गए. दोनों शहरों के लोगों का कहना है कि वे अपने जीवन में इतनी भयानक बाढ़ कभी नहीं देखे थे. 20 जुलाई से बारिश शुरू हुई, 21 को जारी रही और 22 जुलाई को इन दोनों शहरों में तबाही का आलम यह था कि घरों के पहले माले पूरी तरह डूब चुके थे. दोनों शहरों का नवभारत ने दौरा किया और वहां की जमीनी हकीकत का अवलोकन किया.
चिपलुन में बर्बादी का मंजर
रत्नागिरी का खूबसूरत पर्यटक स्थल चिपलुन बाढ़ की विभीषिका इस कदर झेल रहा है कि लोगों के घर बर्बाद हो चुके हैं. घरों के पहले तल पूरी तरह डूब गए थे. स्थानीय लोगों का कहना है कोएना डैम से छोड़े गए पानी के कारण 21 और 22 की रात्रि में वैशिष्ठी नदी में अचानक बाढ़ आ गई, जिससे नदी के किनारे बसा चिपलुन शहर पूरी तरह डूब गया. आनन-फानन में लोग अपने घर छोड़ने लगे, सुबह होते-होते पहले माले तक पानी पहुंच चुका था. चिपलुन का शंकरवाड़ी क्षेत्र, मुरादपुर, पेटियां, गोवलकोट रोड, खेरडी सभी इलाकों में पानी भर चुका था. लोग अपने घरों के छत पर इंतजार करने लगे. स्थानीय निवासी शिवाजी शिंदे ने बताया कि उनके घर में पानी घुस चुका था, वे अपने परिवार के साथ छत पर चले गए. उन्होंने कहा कि 22 जुलाई को करीब 11 फिट तक पानी आ चुका था. प्रमोद का घर शिवाजी के बगल में है. उनके घर में भी पानी घुसा और वे लोग भी छत पर रहने लगे, घर का सारा सामान बर्बाद हो गया. संतोष जाधव का घर नदी के तेज प्रवाह में गिर गया, किसी तरह वे और परिवार के लोग जान बचाने में सफल रहे. उन्हें सरकार से मदद का इंतजार है. संगीता नाटेकर का घर डूबा. सारा सामान नुकसान हुआ. संगीता की नाराजगी है कि एक हफ्ता से ज्यादा हो गया, न तो आमदार आया और न ही खासदार व मुनिसिपल के बड़े अधिकारी दिखे. अमृता जोगलेकर का घर नदी के सबसे करीब है. उनका घर पूरी तरह डूब गया था. वे दूसरे के घर की छत रहने लगीं.
कीचड़ व मलबे से क्षेत्र प्रदूषित
घरों और गलियों में कीचड़ और मलबा भरा हुआ है. मलबे और घरों के सामान की बदबू से पूरा क्षेत्र प्रदूषित है. सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. महाड में पानी, बिजली और इंटरनेट सेवाएं अभी भी बाधित हैं, बर्बादी के इस मंजर में लोग सरकारी मदद के इंतजार में हैं. सरकार की तरफ से सिर्फ निरीक्षण हुआ है, अभी मदद नहीं मिला है.
आरएसएस की अहम भूमिका
चिपलुन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 200 से ज्यादा स्वयंसेवक दिन-रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वे लोगों को हर दिन करीब 2,000 फूड पैकेट बनाकर बांटते हैं. गदरे इंग्लिश स्कूल में स्वयं सेवक खाना बनाते हैं और लोगों को वितरित करते हैं. बड़े पैमाने पर मुंबई, नवी मुंबई, कल्याण-डोंबिवली भिवंडी, वसई-विरार, पालघर की आरएसएस शाखाओं से राहत सामग्री चिपलुन और महाड के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचाई जा रही है. उत्तर रत्नागिरी जिला प्रचारक प्रमुख ओंकार पाठक ने बताया कि आरएसएस की शाखाओं से महाड और चिपलुन के लिए भारी मात्रा में राहत सामग्री पहुंच रही है, जिसमें कपड़े, बर्तन, राशन, चटाई आदि शामिल हैं.
महाड में बर्बादी का आलम
महाड शहर सावित्री और गांधारी दो नदियों के बीच बसा है. इन दोनों नदियों के संगम पर स्थित राजेवाड़ी गांव पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. नदी की धारा ने अपना प्रवाह बदल कर रिहायशी इलाके के कई घरों को बर्बाद कर दिया. लोग अभी भी रोते-बिलखते देखे जा रहे हैं. महाड में भी आरएसएस के सेंटर से उन्हें मदद पहुंचाई जा रही है. मीरा- भायंदर के डॉक्टर अभय मौर्य आरएसएस की मदद से महाड में हेल्थ कैंप लगाकर घायल और बीमार लोगों की नि:शुल्क इलाज कर रहे हैं. आरएसएस की तरफ से महाड और चिपलुन दोनों स्थानों पर हेल्थ सेंटर बनाए गए हैं.
दोनों शहरों में व्यापारी वर्ग का व्यापार पूरी तरह तबाह हो चुका है. दुकानों के सामान सड़ रहे हैं. अपने सामान लोग ओने-पौने दाम पर दे रहे हैं. शांताबाई अपने दुकान के कपड़े सस्ते में बेच रही हैं. इस वजह से कुछ इलाकों में सस्ता माल खरीदने के चक्कर में लोगों की दुकानों पर भीड़ देखी गई. इससे क्षेत्र में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं. शांताबाई ने कहा कि 1,000 रुपए का कपड़ा वे 100 रुपए में दे रही हैं. यहां पर ताम्भड़ भवन सहित कई इलाकों में 17 फीट तक पानी पहुंच गया था. महाड के बुटाला भवन में रमेश ढेबे, भावेश मोरे के नेतृत्व में संघ के 30 स्वयंसेवक खाना बनाने के कार्य में लगे हुए हैं. हर दिन करीब 3,000 फूड पैकेट भोजन बाढ़ ग्रस्त एरिया के लोगों को पहुंचाया जाता है. साथ ही बिसलेरी पानी की बोतल व कपड़े, चटाई आदि भी बड़े पैमाने पर बांटे जा रहे हैं. यहां का तलई गांव में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.