केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2018 के केंद्रीय बजट में विरोधियों को झटका तो दिया ही है, सबको खुश करने की कोशिश भी की है। सच तो यह है कि इस बजट में गांव, गरीब, किसान, उद्योग से जुड़े लोगों और आदिवासियों के विकास का तो ध्यान रखा ही गया है, देश की वाजिब जरूरतों को भी समझने की कोशिश की गई है। देश की परिवहन चिंताओं का भी समाधान तलाशा गया है। बजट में देश की जरूरतों और विकास पर न केवल ध्यान दिया गया है, बल्कि बेरोजगार हाथों को काम देने की ठोस पहल करने की कोशिश की गई है। अपने बजट में वित्त मंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों के हितों के साथ ही राजनेताओं के हितों का भी पूरा ध्यान रखा है।
गरीबों के लिए नेशनल हेल्थ स्कीम जेटली की ओर से एक बड़ा तोहफा है। इसके तहत हर जरूरतमंद गरीब परिवार को हर साल 5 लाख रुपए तक के इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने 1200 करोड़ का कोष निर्धारित किया है। दुनिया भर में यह अपनी तरह का पहला कोष है। इस कोष से देश के 10 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे। सरकार का दावा है कि वह 50 करोड़ लोगों का स्वास्थ्य बीमा करवाएगी, 24 नये मेडिकल कॉलेज खोलेगी, टीबी के मरीजों को हर महीने 500 रुपये की मदद देगी। गरीबों के प्रति किये गये ये बजटीय प्रावधान बताते हैं कि सरकार गरीबों का दर्द और उनकी चिंताओं को समझती है और उनके हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ी है।
रेलवे के विकास को लेकर भी वित्त मंत्री ने बड़ी घोषणाएं की हैं। उन्होंने रेलवे के लिए 1.48 लाख करोड़ का प्रावधान करने के साथ ही पूरे रेल नेटवर्क को ब्राॅडगेज में बदलने का वादा भी किया है। मुंबई लोकल का 90 किलोमीटर तक विस्तार, 25 हजार से ज्यादा यात्रियों वाले सभी रेलवे स्टेशन पर एस्केलेटर बनाने, रेलवे स्टेशनों पर वाईफाई और सीसीटीवी कैमरे लगाने, 600 बड़े रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण करने और 36 हजार किलोमीटर नयी रेल लाइनें बिछाए जाने का प्रावधान रेलवे के विकास को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का ही संकेत है। हवाई यातायात को भी वित्तमंत्री ने सस्ता और सुगम बनाने की बात कही है। एयरपोर्ट की संख्या में पांच गुना इजाफा करने की उनकी घोषणा इसी रूप में ली जा सकती है। सरकार की योजना 56 बेकार पड़े एयरपोर्ट और 31 हेलीपैड्स का भी उपयोग करने की है।
वित्त मंत्री ने देश को बताया कि काले धन पर अंकुश लगाने की कोशिशों से देश में आयकर संग्रह 90 हजार करोड़ रुपये बढ़ा, करदाताओं की संख्या 19.25 लाख बढ़ी, जबकि प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.6 फीसदी बढ़ा है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर चिंता भी जाहिर जतायी कि देश में अभी भी काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जो सक्षम होने के बाद भी कर नहीं दे रहे हैं। किसान उत्पाद कंपनियों को 100 करोड़ के टर्नओवर पर शत प्रतिशत आयकर में छूट देने का प्रावधान भी सराहनीय है।
कुल मिलाकर इस बजट का पूरा फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर है। वित्तमंत्री ने किसानों के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्ध दोहरायी है। 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का संकल्प दोहराते हुए उन्होंने 2 हजार करोड़ की लागत से कृषि बाजार बनाने तथा फसलों का समर्थन मूल्य उत्पादन मूल्य से डेढ़ गुना करने का ऐलान भी किया। ऑपरेशन ग्रीन शुरू करने, पशुपालकों और मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड देने, आलू, टमाटर और प्याज के लिए 500 करोड़ का प्रावधान करने और 42 मेगा फूड पार्क बनाने के प्रस्ताव को किसानों के लिए हितकारी कहा जा सकता है।
बांस को वन क्षेत्र से अलग कर वित्तमंत्री ने बंसफोर समुदाय को पार्टी लाइन से जोड़ने की कोशिश की है। बांस लगाने वाले किसान भी इससे लाभान्वित होंगे। 1290 करोड़ की लागत के राष्ट्रीय बांस मिशन, मछली और पशुपालन के लिए दो नए फंड का प्रावधान बंसफोर समुदाय और मल्लाहों के लिए संजीवनी का काम कर सकता है। कृषि ऋण के लिए 11 लाख करोड़ का प्रस्ताव सुखद है और कहा जा सकता है कि देश के गांव अब उपेक्षित नहीं रहे।
बजट भाषण में उन्होंने खेतों में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से निपटने के तौर-तरीके बताकर यह जताने की कोशिश की कि सरकार समस्याओं को लटकाने में नहीं, सुलझाने में रुचि रखती है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में 52 लाख गरीबों को घर देने, 8 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने, 4 करोड़ गरीब घरों को सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन देने का प्रावधान तथा गांवों में 2 करोड़ नए शौचालय बनाने का बजट प्रस्ताव कर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास योजनाओं को ही विस्तार दिया है।
बजट में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने का भी ध्यान रखा गया है। प्री-नर्सरी से लेकर 12वीं तक के लिए नई शिक्षा योजना लाने के वादे को इसी रूप में देखा जा सकता है। बड़ोदरा में रेलवे यूनिवर्सिटी बनाने और नवोदय स्कूल की तर्ज पर आदिवासियों के लिए एकलव्य स्कूल खेले जाने के सरकार के बजट प्रस्ताव को इसी आलोक में देखना बेहतर होगा। वित्त मंत्री ने बजट में व्यापार शुरू करने के लिए मुद्रा योजना के तहत 3 लाख करोड़ दिए जाने और छोटे उद्योगों के लिए 3794 करोड़ खर्च करने की बात कही है। इसे युवाओं को रोजगार देने के लिए शुरू की गई स्टार्ट अप योजना को विस्तार देने के क्रम में ही देखा जा रहा है। सरकार ने नए कर्मचारियों के ईपीएफ में 12 फीसदी योगदान देने, ईपीएफ में महिलाओं का योगदान 12 से 8 प्रतिशत करने तथा 70 लाख नई नौकरियां पैदा करने की बात कहकर नौकरीपेशा लोगों, महिलाओं और युवाओं को अपने खेमे में लाने की भी कोशिश की है।
कपड़ा उद्योगों को लिए 7148 करोड़ का प्रावधन, दलितों के कल्याण के लिए 56619 करोड़ और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए 39135 करोड़ का ऐलान कर जेटली ने एक तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2019 की चुनावी राह आसान कर दी है। स्मार्ट सिटी के लिए 99 शहरों का चयन, धार्मिक-पर्यटन वाले शहरों के लिए हेरिटेज सिटी योजना और 100 स्मारकों को आदर्श बनाने की घोषणा कर वित्तमंत्री ने विपक्ष के विरोध को कुंद कर दिया। 500 शहरों में पेयजल के लिए अमृत योजना, 494 परियोजनाओं के लिए 19428 करोड़ का प्रावधान कर वित्तमंत्री ने सरकार की जनसापेक्ष नीति का भी इजहार किया। गांवों में इंटरनेट के विकास के लिए 10 हजार करोड़ रुपये सरकार देगी। ग्रामीण क्षेत्रों 5 लाख हॉटस्पॉट बनाए जाएंगे।
उन्होंने 5.95 लाख करोड़ रुपये के सरकारी घाटे का बजट पेश किया है और वित्तीय वर्ष 2018-19 में वित्तीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने की बात कही है। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के लिए 3037 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन और गांवों में 22 हजार हाटों को कृषि बाजार में तब्दील करने का प्रस्ताव इस बात का प्रमाण है कि सरकार इस देश की विकास यात्रा को दूर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह बजट जितना शहर के लिए उपयोगी है, उससे कहीं अधिक गांव के लिए उपयोगी है। आर्थिक समानता लाने के लिए देर-सवेर गांवों पर ध्यान तो देना ही था।
– सियाराम पांडेय ‘शांत’