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फेयरवेल में बोले ओबामा चीन और रूस हमारी बराबरी नहीं कर सकते .

शिकागो, 11 जनवरी =  दो बार अमेरिका के राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा ने विदाई भाषण में अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं तो अमेरिका के सामने भावी चुनौतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने बड़ी विनम्रता से कहा कि दरअसल बदलाव तो जनभागीदारी से आती है, कोई अकेले कुछ नहीं कर सकता। आतंकवाद के खतरे का जिक्र करते हुए कहा कि यह चुनौती तो है, लेकिन इससे डरना नहीं है, बल्कि इसका डटकर मुकाबला करना है। साथ ही, चीन और रूस का जिक्र करते हुए कहा कि ये देश कभी भी अमेरिका के प्रभाव की बराबरी नहीं कर सकते।

गौरतलब है कि ओबामा का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो रहा है और फिर डोनाल्ड ट्रंप आधिकारिक रूप से अमेरिका के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालेंगे।

अपने विदाई संबोधन में ओबामा ने बड़े भावुक अंदाज में कहा, आज मैं अमेरिका के लोगों को शुक्रिया कहना चाहता हूं क्योंकि हर दिन मैंने आपसे सीखा और इसी कारण मैं एक बेहतर राष्ट्रपति, एक बेहतर इंसान बन सका। ओबामा ने कहा, पिछले कुछ समय से मुझे और मिशेल को जिस तरह से शुभकामनाएं मिल रही हैं, उसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं। इसके साथ ही उन्होंने पत्नी मिशेल और बेटियों मालिया और साशा का जिक्र किया। ओबामा ने मिशेल को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताया और बेटियों के बारे में कहा कि एक अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटियां होने के बाद भी ये लोग जितनी सरल, स्वाभाविक और तड़क-भड़क से दूर रहीं, वह वाकई काबिले तारीफ है।
ओबामा ने कहा, कोई भी बदलाव तभी स्थायी होता है जब इसमें आम आदमी की भागीदारी हो। हमारा देश तभी महान बना रह सकता है जब हम एकजुट रहें। कोई फर्क नहीं कि हम गिरते हैं या उठते हैं।

इसके साथ ही दुनिया में चीन और रूस के बढ़ते दबदबे के बीच ओबामा ने बेहद भरोसे के साथ कहा कि ये देश कभी भी दुनिया में अमेरिका के प्रभाव की बराबरी नहीं कर सकते, बशर्ते हम अपने उन बुनियादी सिद्धांतों से नहीं हटें जिनके लिए हम जाने जाते हैं।

अपने भाषण में ओबामा ने दुनिया में बढ़े आतंकी खतरे के प्रति आगाह किया, लेकिन इसके साथ ही इस बात पर संतोष जताया कि उनके कार्यकाल में अमेरिका को इस तरह के वारदात से दो-चार नहीं होना पड़ा। लेकिन उन्होंने बोस्टन और ऑरलैंडो की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इनसे पता चलता है कि कट्टरता किस हद तक खतरनाक हो सकती है। साथ ही इस बात पर संतोष जताया कि अमेरिकी एजेंसियां आतंकवाद समेत इस तरह की चुनौतियों से निपटने में कहीं अधिक सक्षम हुई हैं। गौरतलब है कि ओबामा के कार्यकाल में ही दुनियाभर में आतंकवाद का पर्याय बन चुके ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी कमांडो ने पाकिस्तान में घुसकर मार गिराया था।

ओबामा ने यह भरोसा दिलाया कि आईएसआईएस जल्द ही खत्म हो जाएगा। दुनियाभर में ज्यादातर आतंकवादी घटनाओं में मुस्लिमों की लिप्तता के बावजूद ओबामा मानते हैं कि इसके लिए पूरे मुसलमान कौम को कठघरे में खड़ा करना गलत है। उन्होंने कहा, मैं अमेरिकी मुसलमानों के साथ किसी भी भेदभाव के खिलाफ हूं। मेरा मानना है कि हमारे मुसलमान नागरिक भी हमारे जितने ही देशभक्त हैं। ओबामा ने इस पंक्ति के साथ अपना भाषण खत्म किया- हां, हम कर सकते हैं, हां, हमने किया।

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