नई दिल्ली (ईएमएस)। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने निराधार आरोप लगाने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस जियो से माफी मांगने का सुझाव दिया है। सीओएआई ने कहा जियो लगातार उसकी छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है। उसने चेतावनी दी कि जियो उसे निराधार आरोपों के आधार पर कानूनी कार्रवाई करने की धमकी नहीं दे। प्रिडेटरी प्राइसिंग टैरिफ पर रेग्युलेटर के ऑर्डर को लेकर दोनों पक्षों के बीच तनातनी बढ़ गई है।
नई और पुरानी सभी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के प्रतिनिधि संगठन सीओएआई ने जियो के नाम 28 फरवरी की चिट्ठी में मुकेश अंबानी की कंपनी को इंडस्ट्री बॉडी और उसके एग्जिक्युटिव्स के खिलाफ उसकी तरफ से लगाए गए झूठे और द्वेषपूर्ण आरोपों के खिलाफ कानूनी-कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। सीओएआई ने कहा है कि वह 20 फरवरी को जारी अपने पुराने उस बयान पर कायम है जिसमें उसने टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) पर सितंबर 2016 में लॉन्च जियो का कथित तौर पर फायदा कराने के लिए पिछले 12 से 18 महीनों में प्रिडेटरी प्राइसिंग पर हालिया ऑर्डर सहित कई रेग्युलेशंस जारी करने का आरोप लगाया है। उसने यह भी कहा कि जियो उनकी बातों से इत्तेफाक नहीं रखता।
असोसिएशन के शुरुआती बयान के जवाब में जियो ने 22 फरवरी को उसे और उसके डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज एक मानहानि का नोटिस जारी करते हुए उनसे 48 घंटे के भीतर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए कहा था। उसने यह भी कहा था कि वह मुआवजे की मांग के साथ उनको अदालत में घसीट सकती है। जियो ने यह आरोप भी लगाया था कि सीओएआई अब भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया (भारती एयरटेल के मालिकाना हकवाली टेलिनॉर सहित) के हाथ का खिलौना और मुखपत्र बनकर रह गया है। जियो ने 26 फरवरी को जारी दूसरे पत्र में सीओएआई और मैथ्यूज के खिलाफ अपनी चेतावनी दोहराई थी।
सीओएआई ने जियो में रेग्युलेटरी मामले देखनेवाले सीनियर एग्जिक्युटिव कपूर सिंह गुलियानी के नाम जारी हालिया पत्र में लिखा है, ‘रिलायंस जियो इन्फोकॉम लि. को चेतावनी दी जाती है कि आप हमारी साख पर बट्टा लगानेवाले फर्जी आरोप लगाने से परहेज करें। आपको नोटिस वापस लेने और हमसे माफी मांगने की सलाह दी जाती है। आपको और आरजीआईएल को सलाह दी जाती है कि आप हमें इस कारण कानूनी धमकी देने से परहेज करें।’ एसोसिएशन ने लेटर में यह भी लिखा कि ‘अगर आप हमारे खिलाफ कोई फर्जी कानूनी कार्रवाई शुरू करते हैं तो हम मामले में अपना पुरजोर बचाव करेंगे और उसके नतीजे के जिम्मेदार आप होंगे। हमें सीओएआई और उसके अधिकारियों के ऊपर फर्जी और विद्वेषपूर्ण आरोप लगाने के लिए आपके और आरजीआईएल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का अधिकार है।’
सीओएआई और जियो के बीच विवाद भड़कने की वजह ट्राई की तरफ से मध्य फरवरी में जारी टैरिफ ऑर्डर में संशोधन है। उसने प्रिडेटरी प्राइसिंग की पहचान के लिए नए फॉर्म्यूला दिया है और सिग्निफिकेंट मार्केट प्लेयर (एसएमपी) की परिभाषा बदल दी है। इससे 30 फीसदी से कम मार्केट सब्सक्राइबर्स या रेवेन्यू वाले ऑपरेटर को ही प्राइसिंग फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी।
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