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पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस नें ठाकरे सरकार बोला हमला ,आरक्षण रद्द होने के लिए ठाकरे सरकार जिम्मेदार ,आरक्षण खत्म हो रहा था, मंत्री मोर्चा निकाल रहे थे

मुंबई. मराठा समाज को शिक्षा एवं नोकरी में आरक्षण एवं ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण के संदर्भ में दायर की गई पुनर्विचार याचिका सर्वोच्च न्यायालय में खारिज होने के बाद राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसके लिए ठाकरे सरकार को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ आरक्षण खत्म हो रहा था, दूसरी तरफ राज्य के मंत्री मोर्चा निकाल रहे थे. आरक्षण को लेकर फडणवीस ने महाविकास आघाड़ी सरकार पर जोरदार हमला किया है.

राज्य में जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव में महाराष्ट्र जिला परिषद एवं पंचायत समिति कानून की धारा 12 (2)(सी) एवं राज्य चुनाव आयोग की अधिसूचना के तहत आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो रहा है तो वह अवैध है.इस तरह की टिप्पणी करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार व अन्य की तरफ से दायर की गयी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अदालत के निर्णय के बाद सोमवार को विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकार परिषद आयोजित कर राज्य सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाया.

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि जिस जिले में ओबीसी आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो रहा है. वहां 50 प्रतिशत से कम करने की मांग को लेकर याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई थी. उसमें वर्ष 2010 में कृष्णमूर्ति के फैसले का हवाला दिया गया था. भाजपा सरकार के समय बहस की गई थी. प्रत्येक जिले में आरक्षण एकमुश्त 27 प्रतिशत नहीं हो सकता है यह बात उस समय अदालत ने कही थी. 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण होने पर जिला परिषद, महापालिका के 130 सीटों पर विपरीत असर पड़ेगा.यह ध्यान में आने के बाद हमने उस समय महाअधिवक्ता के साथ कृष्णमूर्ति फैसले का अभ्यास किया था.उसके अनुरुप अध्यादेश जारी कर 90 सीटों को बचाया था.

फडणवीस ने कहा कि 28 नवंबर 2019 को राज्य में नई सरकार गठित हुई.13 दिसंबर 2019 को संसदीय पीठ ने कृष्णमूर्ति मामले की तरह कार्रवाई करने के लिए कहा था. और इसकी जानकारी भी सर्वोच्च न्यायालय ने मांगी थी. तब से राज्य सरकार केवल तारीख मांगती रही. 2 मार्च 2021 को प्रतिज्ञापत्र पेश कर सरकार ने कहा कि कुछ जिलों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है इसके लिए समय दिया जाय. दुर्भाग्य से हमारी सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया था उसे कानूनी रुप देने की बजाय सरकार ने उस अध्यादेश को ही रद्द कर दिया. 15 महीने बाद सरकार की तरफ से प्रतिज्ञापत्र पेश किए जाने पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम तारीख नहीं दे सकते हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि हमने सरकार को राज्य पिछड़ावर्ग गठित करने का सुझाव दिया था. मार्च से जून तक का समय सरकार ने गंवाया. संसदीय पीठ के कथन के मुताबिक कार्रवाई नहीं की गई तो आरक्षण बचाया नहीं जा सकता ऐसा भी कहा था. राज्य पिछड़ा वर्ग तैयार किया होता तो हम इस आरक्षण को पुनर्स्थापित कर सकते थे. लेकिन दुर्भाग्य से हमारे मंत्री 15 महीने की कालावधि तक मोर्चा निकालने में व्यस्त थे.एक तरफ ओबीसी आरक्षण खत्म हो रहा था.दूसरी तरफ मंत्री मोर्चा निकाल रहे थे. फडणवीस ने कहा कि मंत्री मोर्चा निकालने की बजाय केस पर ध्यान दिए होते तो आरक्षण को बचाया जा सकता था.

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