नई दिल्ली, 07 जनवरी = नोटबंदी से आतंकवादियों को सीमापार से मिलने वाली भारतीय मुद्रा में जबरदस्त गिरावट आई है और नकली नोटों के चलन पर भी रोक लगी है। वहीं जम्मू-कश्मीर में पैसे देकर उपद्रव और पत्थरबाजी कराने की घटनाओं पर भी लगाम लगी है।
यह जानकारी खुफिया एजेंसियों की ओर से केन्द्र को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा पर नोटबंदी का असर’ नाम से सौंपी गई रिपोर्ट में है। रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद आतंकियों को मिलने वाला पैसा बंद हो गया है। कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए नई मुद्रा न होने से हिंसा भी रुक गई है। दिसम्बर तक इसमें करीब 60 फीसदी कमी दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार हवाला के जरिए होने वाली कालाबाजारी में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है। नोटबंदी के फैसले से भारत में चल रही और अन्य मार्गों से भारत में लाई जाने वाली नकली मुद्रा भी अब बाजार से बाहर हो गई है।
सीमा पार पाकिस्तान से आने वाली नकली मुद्रा अब न के बराबर रह गई है। जाली नोट छापने वाली दो बड़े प्रेस कारखाने बंद हैं। पाकिस्तान अपने क्वेटा स्थित सरकारी प्रेस और कराची के एक प्रेस में जाली भारतीय करंसी छापता रहा है। नोटबंदी के बाद, पाकिस्तान के पास जाली नोटों की दुकान बंद करने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा।
सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगी है। इसके अलावा, भू-माफियाओं द्वारा कृत्रिम तरीके से महंगे किए गए रियल एस्टेट मार्केट में भी कीमतों में सुधार हुए हैं। जांच एजेंसियों ने पाया, ‘नोटबंदी की वजह से नक्सली संगठनों द्वारा हथियारों की खरीद-फरोख्त पर भी असर पड़ा। बहुत सारे नक्सलियों ने नॉर्थ ईस्ट छोड़ दिया और अपनी सुरक्षा के लिए सीमा के दूसरी ओर चले गए।’
एजेंसियों की पड़ताल के हवाले से अफसरों का कहना है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर के अलावा झारखंड में बड़े माओवादी नेता पुराने नोटों को नए नोटों से बदलवाने के लिए लोगों की मदद मांगते नजर आए। उनपर बड़े पैमाने पर सरेंडर करने का दबाव है।
जांच एजेंसियों के साथ-साथ खुफिया एजेंसियों के साथ हुई इस बैठक का नेतृत्व खुद पीएम ने किया था। इसमें एजेंसियों ने नोटबंदी के बाद भारतीय सुरक्षा के साथ-साथ आतंकवाद, हवाला और नकली नोट की स्थिति पर रिपोर्ट सरकार को दो थी।