नई दिल्ली, 20 जनवरी= नमामि गंगे कार्यक्रम में कॉर्पोरेट जगत की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से गुरुवार को यहां जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तथा कार्पोरेट जगत की विभिन्न जानी-मानी कंपनियों ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत नमामि गंगे कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, बैंक और कॉर्पोरेट जगत के प्रतिनिधि इस कार्यशाला में शामिल हुए और कॉर्पोरट सामाजिक उत्तरदायित्व की गतिविधियों के तहत नमामि गंगे कार्यक्रम में अहम योगदान देने को लेकर विस्तार से चर्चा की। ओएनजीसी, कोल इंडिया लिमिटेड, बीएचईएल, गेल इंडिया लिमिटेड, सेल, एनटीपीसी लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड, पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड सहित महारत्न, नवरत्न एवं अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उपक्रमों ने कार्यशाला में सक्रिय भागीदारी की। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के विभिन्न बैंकों जैसे भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, येस बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूको बैंक समेत करीब 20 बैंकों ने भी नमामि गंगे कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में भागीदारी की और इस कार्यक्रम को सफल बनाने के उद्देश्य से विचारों का आदान-प्रदान किया। आदित्य बिड़ला समूह की जेएसडब्ल्यू एवं टाटा संस जैसी कॉर्पोरेट जगत की कंपनियों ने भी इस कार्यशाला में सक्रिय भागीदारी की और अपने विचार साझा किए।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक यू.पी. सिंह ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए गंगा संरक्षण के विभिन्न हितधारकों द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यक्रमों यथा- दूषित जल संयंत्र, जैविक विविधता और जन भागीदारी की परियोजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत सफलता प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी दोनों ही क्षेत्रों की सहभागिता के महत्व पर बल देते हुए सिंह ने इन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के साथ काम करने और अपने अमूल्य सुझाव साझा करने के लिए आमंत्रित किया। स्वच्छ गंगा निधि पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि यह एक संस्था है, जिसकी अध्यक्षता केन्द्रीय वित्त मंत्री करते हैं। इस संस्था को वर्ष 2014 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण में योगदान देने के इच्छुक लोगों को प्रोत्साहित करना है।
कार्यशाला में उपस्थित विभिन्न कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं बैंकों के प्रतिनिधियों ने विभिन्न सत्रों में अपने सुझाव साझा किए। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत गंगा बेसिन सभी पांच राज्यों में जारी नमामि गंगे गतिविधियों में योगदान करने के प्रति अपनी इच्छा ज़ाहिर की। कोल इंडिया लिमिटेड के एक प्रतिनिधि ने कहा कि, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व गतिविधियों के अंतर्गत उसने पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले फूलों से खाद बनाने की दिशा में एक प्रणाली विकसित की है। गेल और भेल के द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत की जा रही विभिन्न कार्यक्रमों को भी इस कार्यशाला के दौरान साझा किया गया और यह विश्वास जताया गया कि उनके द्वारा किए जा रहे ये प्रयास नमामि गंगे कार्यक्रम को सफल बनाने की दिशा में भी उपयोगी साबित होंगे।