दागियों के आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार
नई दिल्ली, 04 सितम्बर : दागी सांसदों और विधायकों, कार्यपालिका और न्यायपालिका से जुड़े लोगों के खिलाफ आपराधिक मामलों का निपटारा जल्द करने और एक बार दोषी होने पर उनके आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पांच सदस्यीय बेंच गठित करने पर सहमत हो गया है।
पिछले 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामलों का निपटारा तेजी से होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया था कि छह महीने में मामले निपटाने चाहिए। पिछले 12 जुलाई को सुप्रीम जब निर्वाचन आयोग ने कोर्ट से कहा था कि दोषी सांसदों और विधायकों को दोषी होने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने पर उन्होंने कोई फैसला नहीं किया है तो सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई थी । कोर्ट ने कहा था कि आप इस पर चुप कैसे रह सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप अपना पक्ष साफ क्यों नहीं करते कि सजा पाने वालों पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी का समर्थन करते हैं या नहीं? अगर आपको सांसद और विधायक रोक रहे हैं तो हमें बताइए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने अपने हलफ़नामे में कहा कि आप याचिका का समर्थन करते हैं ? लेकिन अभी सुनवाई के दौरान आप कह रहे हैं कि आपने बस राजनीति से अपराधीकरण की मुक्ति को लेकर समर्थन किया है।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर कर मांग की है कि एक साल के अंदर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका से जुड़े लोगों के खिलाफ आपराधिक मामलों का निपटारा हो और एक बार दोषी होने पर उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए।
उन्होंने मांग की है कि ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने,राजनीतिक दल का गठन करने और पदाधिकारी बनने पर रोक लगाई जाए । याचिका में ये भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग, विधि आयोग और नेशनल कमीशन टू रिव्यू द वर्किंग ऑफ द कांस्टीट्यूशन द्वारा सुझाए गए महत्वपूर्ण चुनाव सुधारों को लागू करवाने का निर्देश केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को दिया जाए। याचिका में ये भी मांग की गई है कि विधायिका की सदस्यता के लिए न्यूनतम योग्यता और अधिकतम आयु सीमा तय की जाए।