Uttarakhand.उत्तरकाशी, 21 मार्च (हि.स.)। चीन के साथ रिश्तों में उतार-चढ़ाव के बीच भारत ने अपनी सीमाओं को अभेद बनाने की कवायद शुरू कर दी है। जल्द ही वायुसेना की हेलीकॉप्टर यूनिट उत्तरकाशी में तैनात कर दी जाएगी।
इसी योजना के तहत बीते दिन वायुसेना, सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के अधिकारियों ने इनर लाइन में आने वाले हर्षिल क्षेत्र का निरीक्षण किया।
ज्ञातव्य है कि उत्तराखंड में 345 किलोमीटर लंबी सीमा चीन से सटी है। इसमें से 133 किलोमीटर उत्तरकाशी जिले में है। सीमा पर सुरक्षा की जिम्मेदारी आईटीबीपी के पास है।
सामरिक दृष्टि से संवेदनशील इस जिले में लंबे समय से सीमा सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2013 में वायुसेना ने उत्तरकाशी के पास चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर परीक्षण उड़ान भरी थी।
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उस वक्त यहां पहली बार एयरफोर्स का सीजे-हरक्यूलिस विमान उतारा गया। बीते वर्ष सितम्बर 2016 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। इसी के तहत सर्जिकल स्ट्राइक के तत्काल बाद आईटीबीपी ने सीमा पर नेलांग, नागा और सोनम चौकियों पर युद्धाभ्यास भी किया था।
नवम्बर 2016 में तत्कालीन थल सेनाध्यक्ष जनरल दलवीर सिंह सुहाग ने उत्तरकाशी पहुंच चीन सीमा का हवाई निरीक्षण भी किया। सैन्य अधिकारियों के संयुक्त दल ने चिन्यालीसौड़ में बैठक की।
सूत्रों की माने तो बैठक में गोरखपुर में तैनात वायुसेना की 105 हेलीकाॅप्टर यूनिट के विंग कमांडर प्रणव कुमार भी मौजूद थे। इस दौरान यहां हेलीकॉप्टर यूनिट स्थापित करने पर मंथन किया गया।
इसके बाद सैन्य अफसरों ने चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का निरीक्षण किया और हर्षिल पहुंचे। हर्षिल में हेलीपैड का जायजा लेने के साथ ही
संचार और चिकित्सा सुविधाओं के बारे में भी जानकारी जुटाई गई। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने निरीक्षण की पुष्टि की और बताया कि सेना ने इस बारे में स्थानीय प्रशासन को सूचना दे दी थी।
बताते चले कि उत्तराखंड के चमोली जिले में चीनी सेना की घुसपैठ के मामले सामने आते रहे हैं। जुलाई 2016 में बाराहोती क्षेत्र में चीनी हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा में घुस आया और करीब पांच मिनट मंडराता रहा।
उसी माह क्षेत्र के निरीक्षण पर गई राजस्व टीम से भी चीनी सैनिकों का सामना हुआ था। इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेजी गई थी। इसके अलावा वर्ष 2015 में चीनी सैनिकों द्वारा बाराहोती क्षेत्र में ही चरवाहों के खाद्यान्न को नष्ट करने की घटना भी सामने आई थी।