गुजरात चुनाव : अपने ही चक्रव्यूह में फंसती कांग्रेस !
अहमदाबाद, 18 नवम्बर (हि.स.)। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस हर वह दांव चल रही है जो उसकी रणनीति को कारगर ढ़ंग से जमीन पर कामयाब बना सके। खाम (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) फॉर्मूले को लेकर चुनावी समर में उतरी कांग्रेस ने पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल को साधने के लिए पटेलों को आरक्षण देने की हामी भरते हुए उनको पाले में लाने की कोशिश की तो दूसरी ओर पंक्षीपंच (ओबीसी) नेता अल्पेश ठाकोर को भी अपने पाले में ला खड़ा किया। इतना ही नहीं, कांग्रेस के रणनीतिकारों ने दलित नेता जिग्नेश मेवानी का भी फौरी तौर पर समर्थन तो ले लिया पर उसे पार्टी में ला खड़ा करने में नाकामयाब रही। किंतु, कांग्रेस की यह रणनीति अब उसके लिए गले का फांस बनती दिख रही है।
अव्वल तो खाम फार्मूले के साथ पाटीदार, ओबीसी और दलित आंदोलन के नेताओं में ही आपसी मेल की कोई जमीन नहीं दिखती। दूसरे, पाटीदारों को ओबीसी कोटे से आरक्षण न देने की लड़ाई लड़ने वाले अल्पेश ठाकोर अब कांग्रेस के साथ हैं। ऐसे में दो धुर पर खड़े पाटीदार और ओबीसी मतों को साधना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर है।
वहीं, हार्दिक पटेल के कांग्रेस के साथ बढ़ती नजदीकियों और पटेल मतों के छिटकने की आशंका देख भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची में अपने मौजूदा 15 पाटीदार विधायकों पर फिर से भरोसा जताया है। इसमें उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल भी शामिल हैं। इसके अलावा भाजपा ने अपनी सूची में ओबीसी वर्ग और कांग्रेस के बागियों को भी जगह दी है। कांग्रेस के बागी राघवजी पटेल, धर्मेन्द्र सिंह जडेजा सीके राउलजी, रामसिंह परमार और मान सिंह चौहाण शामिल हैं।
इन सभी ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया था। पटेल विधायकों को फिर से टिकट देकर भाजपा ने कांग्रेस की रणनीति को नाकाम करने की चाल चल दी है। वहीं, भाजपा के उम्मीदवारों की सूची आने के बाद कांग्रेस फिर से उम्मीदवारों की सूची पर माथापच्ची में जुट गई है। उधर, दिल्ली में डेरा डाले पाटीदार आंदोलन के नेताओं ने मुलाकात का समय न मिलने पर कांग्रेस नेताओं को 24 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया है। कांग्रेस ने आरक्षण के मुद्दे पर पाटीदार नेताओं से 24 घंटे का वक्त मांगा है। पाटीदार नेता दिनेश बांभणिया ने कहा है कि कांग्रेस ने आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया था। किंतु अब तक मुलाकात का समय नही मिला। ये हमारा अपमान है।
वहीं, पाटीदार नेता कांग्रेस के रूख से नाराज हो विरोध की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। उनकी मंशा है कि जिस तरह पाटीदार आंदोलन के वक्त मुख्यमंत्री आनंदीबेन को अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में ज्ञापन लेने के लिए आने की चेतावनी दी थी, उसी तर्ज पर कांग्रेस आलाकमान को भी आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा के लिए गुजरात बुलाया जाए।
वहीं, चर्चा है कि अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस में शामिल होने से पहले यह शर्त रखी थी कि उनके समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिया जाए। किंतु, कांग्रेस अगर ठाकोर समर्थकों को ज्यादातर सीटों पर टिकट देती है तो पटेल मतदाताओं के मत उससे दूर होने की संभावना ज्यादा है। क्योंकि पटेल समुदाय अपनी बिरादरी के नेताओं को छोड़कर किसी और को वोट करने के पक्ष में नहीं दिख रहा। यही कारण है कि कांग्रेस के उम्मीदवारों को सूची का इंतजार कर रही भाजपा ने अपना दांव चलते हुए बीते शुक्रवार को पहली सूची जारी कर दी। इस सूची में भाजपा ने मौजूदा 15 पटेल विधायकों को टिकट देकर पाटीदार समाज को साधने की चाल चल दी है। ऐसे में कांग्रेस अपने ही चक्रव्यूह में उलझती दिख रही।