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गुजरात के बाद क्या मप्र में कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकते हैं हार्दिक पटेल

भोपाल (ईएमएस)। साल भर बाद मंदसौर किसान आंदोलन की वजह से फिर सुर्खियों में आ गया है। मध्यप्रदेश में इसी साल नवंबर तक चुनाव होने हैं। कांग्रेस लंबे समय से यहां सत्ता से बाहर है। इसकारण किसानों के कंधे पर सवार होकर सत्ता तक पहुंचने के प्रयास में जुट गई है। किसान आंदोलन को भुनाने के लिए बुधवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मंदसौर पहुंच रहे हैं। जहां वे साल भर पहले हुए किसान आंदोलन के दौरान मारे गए 6 किसानों को श्रद्धांजलि देने वाले है।

पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पहले से ही मध्य प्रदेश में सक्रिय हैं। उनका 7 तारीख को जबलपुर और 8 जून को सतना भ्रमण प्रस्तावित है। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि राहुल गांधी या कांग्रेस को हार्दिक पटेल की मध्यप्रदेश यात्रा से क्या फायदा है? क्या हार्दिक पटेल पाटीदारों के वोट का कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकरण कर पाएंगे? गुजरात विधानसभा चुनाव में पटेल से कांग्रेस को सहयोग मिल चुका है। हार्दिक पटेल पहले ही सागर और भोपाल में कार्यक्रम कर चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सियासी वजहों से ही मंदसौर में मोदी विरोधियों का जमावड़ा लगने जा रहा है। यहां आठ जून को भी एक कार्यक्रम है। जिसमें प्रवीण तोगड़िया, यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा किसान आंदोलन के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपना निशाना लगाएंगे।

दरअसल, पाटीदार बहुल मंदसौर क्षेत्र जनसंघ के जमाने से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का गढ़ रहा है। अब यह किसान राजनी‍ति के केंद्र में आ गया है। इसलिए,हार्दिक पटेल और प्रवीण तोगड़िया दोनों की यात्रा के पीछे राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। मंदसौर और पाटीदार समाज का पुराना नाता है। अखिल भारतीय ओबीसी महासभा की जबलपुर इकाई के अध्यक्ष इंद्र कुमार पटेल दावा करते हैं कि मध्य प्रदेश की 220 में से 50 ऐसी सीटें हैं जिन पर पाटीदार वोट प्रभाव डालते हैं. इससे कांग्रेस फायदा उठा सकती है।

पाटीदार समाज कभी बीजेपी का बेहद करीब माना जाता था,लेकिन गुजरात के बाद अब बीजेपी के सबसे मजबूत और पुराने गढ़ में भी पाटीदारों ने सत्तारुढ़ पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस इसका भरपूर फायदा उठाना चाहती है,इसीलिए उसके अध्यक्ष यहां जा रहे हैं।
दरअसल, पाटीदार और भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ में विरोध का पहला बीज राज्य सरकार की ओर से भूमि अधिग्रहण के लिए बनाए नए कानून के साथ ही पड़ गया था। नए कानून से किसानों से जमीन लेने का तरीका आसान हो गया, जिससे अंदर ही अंदर विरोध मुखर हो रहा था। 2017 में किसानों पर फायरिंग में आग में घी डालने का काम किया। मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में मारे गए लोगों में चार पाटीदार समाज से बताए गए हैं। माना जा रहा है कि किसानों का ये असंतोष पाटीदार समाज को धीरे-धीरे बीजेपी से दूर ले जा रहा है।

बीजेपी से दूरी की दूसरी वजह राज्य सत्ता में पाटीदार समाज के नेताओं को तरजीह नहीं मिलना भी रहा है। किसान आंदोलन ने इस आग में चिंगारी काम किया। बताते हैं कि मालवा के भाजपा के गढ़ में पाटीदारों की आबादी करीब ढाई से तीन लाख हैं। राज्य में उनकी कुल आबादी करीब 60 लाख हैं। इसकारण पाटीदार आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे हार्दिक पटेल के मंदसौर जाने से किसे फायदा मिलेगा, यह आसानी से समझा जा सकता है। ओबीसी नेता इंद्र कुमार पटेल कहते हैं इससे नुकसान तो बीजेपी को होगा। हालांकि बीजेपी भी पाटीदार समाज की नाराजगी को हलके में लेने की चूक नहीं कर रही। किसान आंदोलन के बहाने मंदसौर में कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले सप्ताह खुद भी यहां की यात्रा की।

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