नई दिल्ली, = उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की राह रोकने के लिए गैर भाजपाई दल हाथ मिला सकते हैं। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठजोड़ की कवायद परवान चढ़ने की ओर है। इस बीच, गैर भाजपाई अन्य दलों का कुनबा भी तैयार होने की सुगबुगाहट तेज हो गई है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का बरसों पुराना साथ है। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ कई बार गठबंधन को लेकर बैठक कर चुके हैं। इन दोनों पार्टियों में गठबंधन होने से विधानसभा चुनाव के नतीजों पर असर पड़ने का अनुमान है। यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी क्लीनस्वीप की बात कई बार कर चुके हैं|
बताया जा रहा है, दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को इस गठबंधन के लिए गलतफहमियों को दूर कर मतभेद खत्म करने होंगे। ऐसा कहा जाता है कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव कांग्रेस को संदेह की नजर से देखते है| राज्य में सबसे पुरानी पार्टी को पुनर्जीवित होने की डर से वह कांग्रेस से हाथ मिलाने के खिलाफ रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने वर्षों के प्रयास के बाद कांग्रेस को राज्य में हाशिए पर लाकर खुद को मुख्य ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टी के रूप में स्थापित किया था।
सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी का मानना है कि वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ राजनीतिक रिश्ता रख सकते हैं, लेकिन सपा प्रमुख के साथ वह काफी असहज महसूस करते हैं। अब 23 दिसम्बर को जद-यू नेता शरद यादव के घर पर गैर भाजपाई दलों के नेताओं की बैठक है। दोपहर भोज पर होने वाली इस बैठक में उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर गठजोड़ की कवायद की जाएगी, ऐसी अटकलें हैं। बहरहाल, अगर उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस का गठजोड़ तय हो जाता है तो निश्चित तौर पर भाजपा को मुश्किल आ सकती है।