कड़वी सच्चाई : यूपी में सबसे ज्यादा बाल मजदुर हैं कानपुर में !
लखनऊ, 14 नवम्बर : प्रदेश में बाल दिवस पर हुये विविध आयोजनों को आरटीआई के तहत सामने आयी एक कड़वी सच्चाई मुंह चिढ़ाते नजर आ रही है। इसके मुताबिक उत्तर प्रदेश में कामकाजी बच्चों की कुल संख्या लगभग 21 लाख 76 हजार 706 है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में बाल श्रमिकों की संख्या 19 लाख 27 हज़ार थी, जो विकास के बड़े-बड़े दावों, विभिन्न सरकारी अभियानों, योजनाओं, कानूनों और जनजागृति की बड़ी-बड़ी सरकारी बातों के बाद भी काम होने के स्थान पर लगातार बढ़ रही है।
श्रम आयुक्त उत्तर प्रदेश कार्यालय के जन सूचना अधिकारी मोहम्मद अशरफ द्वारा संजय शर्मा को दी गई इस जानकारी में कहा गया है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की आबादी 19 करोड़ 98 लाख है और इस आबादी में से 3 करोड़ 8 लाख बच्चे हैं। इस आरटीआई जवाब से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश के 07 प्रतिशत से अधिक बच्चे बाल श्रम कर रहे हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लखनऊ की आबादी 28 लाख 17 हजार होने के आधार पर साफ है कि यहां कुल आबादी के 77 प्रतिशत आबादी के बराबर बच्चे उत्तर प्रदेश में बाल श्रम कर रहे हैं।
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उत्तर प्रदेश में चिन्हित बाल श्रमिकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने की बात भी इस आरटीआई जबाब से सामने आई है। इसके मुताबिक 31 मार्च 2015 तक यूपी में चिन्हित बाल श्रमिक 841 थे, जो 31 मार्च 2016 तक बढ़कर 1164 हो गए और 31 मार्च 2017 तक उनकी संख्या 1601 हो गई है। खास बात है कि सर्वाधिक कामकाजी बच्चों वाले जिलों में प्रदेश के इलाहाबाद, बरेली, जौनपुर, गोण्डा, आगरा, गाजियाबाद, बलिया, लखनऊ, गोरखपुर और सीतापुर सूबे के अन्य जिलों से आगे हैं तो वहीं चिन्हित किए गए बाल श्रमिकों की सर्वाधिक संख्या 128 कानपुर में है और उसके बाद आगरा में 104 बाल श्रमिक, लखनऊ में 99 बाल श्रमिक, इलाहाबाद में 68 बाल श्रमिक और बरेली में 67 बाल श्रमिक चिन्हित किए गए हैं। आरटीआई के मुताबिक मऊ ही उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जिसमें अभी तक एक भी बाल श्रमिक चिन्हित नहीं किया जा सका है। (हि.स.)।