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क्या सिद्धारमैया के डॉक्टर बेटे संभाल पाएंगे वरुणा सीट से विरासत?

बेंगलुरु (ईएमएस)। कर्नाटक विधानसभा चुनाव का सियासी तापमान काफी गर्म हो चुका है। एक तरफ जहां राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस ने अपनी पिछली सीटों पर किलेबंदी शुरू कर दी है। वहीं बीजेपी बीएस येदियुरप्पा के चेहरे के सहारे उसमें सेंध लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं, ताकि एक बार फिर कर्नाटक की सियासत में कमल खिल सके। इन सबके बीच राज्य की हाईप्रोफाइल मानी जाने वाली वरुणा विधानसभा सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।

कर्नाटक में कांग्रेस का चेहरा और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपनी दो बार की जीती हुई वरुणा विधानसभा सीट से अपने बेटे यतींद्र सिद्धारमैया को उतारा है। बीजेपी सीएम के बेटे की सीट पर घेराबंदी करने में जुटी है। वहां बीजेपी के थोटाडप्पा बस्वाराजू सहित 16 उम्मीदवार मैदान में हैं। कर्नाटक के मैसूर जिले के तहत आने वाली वरुणा विधानसभा सीट 2008 में वजूद में आई है। मार्च 2007 में न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता वाले भारतीय परिसीमन आयोग (डीसीआई) ने बन्नूर विधानसभा क्षेत्र को खत्म कर वरुणा विधानसभा क्षेत्र के गठन को मंजूरी दी थी। 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में सिद्धारमैय ने वरुणा सीट से उतरकर जीत हासिल की। राज्य के 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में वरुणा सीट से कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के 71 हजार 908 वोट मिले। जबकि बीजेपी उम्मीदवार एल रवीनसिद्धैया 53 हजार 71 वोट मिले। इस तरह से सिद्धारमैया ने 18 हजार 837 मतों के बीजेपी को मात दी थी।

2013 में हुए विधानसभा चुनावों में सिद्धारमैया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कर्नाटक जनता पक्ष (केजीपी) के उम्मीदवार कापू सिद्धा लिंग्स्वामी को 29 हजार 641 वोटों से हराया था। पिछले चुनाव में सिद्धारमैया को 84 हजार 385 वोट मिले थे। 2013 में कर्नाटक की सत्ता की कमान संभालने वाले सिद्धारमैया ने अपने बड़े बेटे राकेश सिद्धारमैया को राजनीति में लाने की इच्छा जताई थी। लेकिन पिछले साल जुलाई माह में राकेश का निधन हो जाने के चलते वह सपना सकार नहीं हो सका। इसके बाद सिद्धारमैया ने अपने छोटे बेटे यतींद्र को विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की कमान सौंपी है, जो

पेशे से चिकित्सक हैं। सिद्धारमैया का दुर्ग कही जाने वाली वरुणा सीट पर उनके बेटे को मात देने के लिए बीजेपी ने थोटाडप्पा बस्वाराजू को चुनाव मैदान में उतारा है। थोटाडप्पा बस्वाराजू लिंगायत समुदाय से हैं और 1980 से बीजेपी में है। नरसिंहपुर के रहने वाले बस्वाराजू क्षेत्र में ‘थोटाडप्पा होम नेस्ट’ नाम के एक होटल के मालिक हैं। वरुणा सीट पर पहले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे और बीजेपी के युवा मोर्चा के महासचिव बीवाई विजयेंद्र को यहां से टिकट दिए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन आलाकमान ने उनका टिकट काटकर बस्वाराजू को दे दिया। इस फैसले से पार्टी के भीतर आतंरिक कलह पैदा हो गई है।

वरुणा सीट पर जेडीएस के अभिषेक एस. मानेगर, कनार्टक जनता पक्ष के उमेश सी. इंडियन, न्यू कांग्रेस पार्टी के गुरुलिंघैया, सपा के निर्मला कुमारी सहित 16 उम्मीदवार हैं। वरुणा विधानसभा सीट पर एक तरफ जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र के सामने अपने पिता की सीट को बचाने का दबाव है। वहीं बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा के बेटे को टिकट नहीं मिलने के कारण प्रत्याशी के रूप में उभरे थोटाडप्पा बस्वाराजू पर खुद को साबित करने की चुनौती है। ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इतेहदुल मुसलमीन पहले ही जेडीएस को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है, जिससे मुस्लिम वोटों के कटने की आशंका भी दोनों पार्टियों को सता रही है। ऐसे में वरुणा सीट पर मुकाबला कांटे का हो गया है।

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