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किसानों के आंदोलन के बाद बैंक ने स्वीकारे 10 रुपये के सिक्के

मुंबई, 17 मई = नाशिक जिले के देवलाली कैम्प शहर समेत जिले में 10 रुपये के सिक्के को लेकर लगातार अलग-अलग अफवाहें फैल रही हैं। ऐसे में जब बैंक आफ इंडिया जैसे राष्ट्रीयकृत बैंक में किसानों ने अपने खाते में 10 रुपये के सिक्के जमा करवाने चाहे तो बैंक ने सिक्के लेने से मना कर दिया। इसके बाद किसानों ने बैंक के बाहर बैठकर आंदोलन शुरू कर दिया। इससे कुछ देर के लिए बैंक में तनाव का माहौल व्याप्त हो गया था। पुलिस हस्तक्षेप के बाद बैंक प्रशासन ने किसानों से सिक्के स्वीकारे, तब जाकर किसानों ने आंदोलन वापस लिया।

गौरतलब है कि जिले में पिछले कुछ दिनों से 10 रुपये के सिक्के को लेकर अलग-अलग अफवाहें फैल रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र में तो 10 रुपये का सिक्का बंद होने की अफवाह तेजी से फैलने के कारण नागरिक सिक्के के बजाए नोट की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में अपने व्यवसाय व अन्य कार्य के लिए आने वाले नागरिक भी 10 रुपये के सिक्के लेने से मना कर रहे हैं। वास्तव में बाजार में 10 रुपये के नोट कम और सिक्के अधिक मात्रा में चलन में आने से इस तरह की स्थिति बनी हुई है। सरकार ने सभी बैंक को 10 रुपये के सिक्के लेने का आदेश जारी किया है, बावजूद इसके कई बैंक सिक्के लेने से मना कर रहे हैं।

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बैंक आफ इंडिया की देवलाली शाखा में शिवाजी वाघ व नामदेव वाघ नामक दो किसान तकरीबन 7 हजार रुपये मूल्य के 10 रुपये के सिक्के खाते में जमा करवाने के लिए लाए, लेकिन बैंक प्रशासन ने यह राशि लेने से मना कर दिया। इसके बाद दोनों किसान बैंक प्रबंधक एस. के धुले के पास गए, लेकिन उन्होंने भी मना कर दिया। इसके बाद किसान व बैंक प्रबंधक के बीच जमकर विवाद हुआ और संतप्त किसानों ने बैंक के बाहर आंदोलन शुरू कर दिया और 10 रुपये मूल्य के सात हजार रुपये के सिक्के चारों ओर फैला दिए। इस आंदोलन की जानकारी जैसे ही पुलिस को मिली वह बैंक की शाखा पर पहुंच गई।

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किसान और बैंक प्रशासन के साथ चर्चा करने के बाद बैंक ने इन किसानों की राशि जमा कर ली। इस बारे में बैंक आफ इंडिया के शाखा प्रबंधक एस. के धुले ने कहा, नागरिक बैंक से 10 रुपये मूल्य के सिक्के नहीं ले रहे हैं। अब इन सिक्कों का करें तो क्या करें? अगर नागरिकों ने बैंक से सिक्के लिए तो हमें भी उन्हें लेने में कोई तकलीफ नहीं होगी।

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