ऊर्जा और पोषक तत्व से भरपूर होती है शकरकन्द
शकरकन्द में ऊर्जा का खजाना होता है। इसके पोषक तत्वों से स्वास्थ्य को बहुत फायदे मिलते हैं। सर्दियों में कंद-मूल अधिक फायदेमंद रहते हैं, क्योंकि ये शरीर को गर्म रखते हैं। इसके गहरे रंग की प्रजाति में कैरोटिनॉयड जैसे, बीटा-कैरोटीन और विटामिन ए अधिक मात्रा में पाया जाता है। 100 ग्राम शकरकंद में 400 फीसदी से अधिक विटामिन ए पाया जाता है।
इसमें में आयरन, फोलेट, कॉपर, मैगनीशियम, विटामिन्स आदि होते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है। डायट्री फाइबर और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है। शकरकन्द खाने में मीठा होता है। इसके सेवन से खून बढ़ता है, शरीर मोटा होता है साथ ही यह कामशक्ति को भी बढ़ाता है। नारंगी रंग के शकरकंद में विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है। शकरकंद में कैरोटीनॉयड नामक तत्व पाया जाता है जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है।
शकरकंद की खेती वैसे तो पूरे भारत में की जाती है लेकिन ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र में इसकी खेती सब से अधिक होती है। शकरकंद की खेती में भारत दुनिया में छठे स्थान पर आता है। बाराबंकी जिले में भी शकरकंद भारी मात्रा में उगाई जाती है।
लखनऊ के मोहनलालगंज के किसान शकरकन्द की खेती में अपना हाथ आजमा रहे हैं। उन्हें इस खेती से काफी फायदा हो रहा है। गाँव के कदम सिंह का मानना है ‘शकरकन्द की खेती काफी सरल है। इस खेती से कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है।’ उन्होंने बताया कि मैंने अपने दो बीघे के खेत में शकरकन्द बोई थी जिससे मुझे अच्छा फायदा हुआ है। मैंने जुलाई माह में शकरकन्द की बेलों के छोटे-छोटे टुकड़े करके बुवाई कर दी थी। उसके तीन से चार दिन बाद सिंचाई कर दी थी। उसके बाद आवश्यकतानुसार उसमें खाद डाली व समय- समय पर पानी देता रहा। करीब छह महीने के बाद फसल तैयार हो गयी।’
हैदरगढ़ गाँव के किसान वरूण बताते हैं, ‘मैंने अपने एक बीघे खेत में शकरकन्द की खेती की थी जिससे मुझे बढ़िया फायदा हुआ।’
कृषि विभाग के खण्ड तकनीकी प्रबंधक सुशील कुमार अग्निहोत्री की माने तो ‘शकरकंद की कई प्रजातियां होती हैं। पूसा सफेद, पूसा लाल, एस10 -10 ओ पी -1 काल मेघ आदि। इसकी खेती के लिए दोमट व रेतीली मिट्टी होनी चाहिए। इसकी बुवाई से पहले 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालनी चाहिए। (हि.स.)।