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इन पांच वजहों से पीएम मोदी हार सकते हैं 2019 का आम चुनाव !

पटना, सनाउल हक़ चंचल-

2019 चुनाव में मात्र 18 महीने बाकी रह गए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता हिन्दुस्तान के सभी नेताओं पर भारी पड़ रही है। इसके लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पूरा चुनावी खाका भी तैयार कर लिया है।

लेकिन कोई भी चुनाव परिणाम नेता नहीं बल्कि जनता तय करती है। इन तीन सालों में एनडीए सरकार के लिए ये पांच समस्याएं एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। अगर समय रहते पीएम मोदी की सरकार इन पांच बड़ी चुनौतियों से पार नहीं पा सकी तो फिर आप समझ सकते हैं.

देश में बेरोजगारी की समस्या बढ़ती ही जा रही है। जिसके चलते युवाओं में असंतोष का होना लाजिमी है। इसका स्पष्ट उदाहरण बीजेपी समर्थित संगठन ABVP का हर छात्र संघ चुनावों में हारना है। आप को याद दिला दें कि 2014 में पीएम मोदी ने युवाओं को रोजगार देने और राजगार सृजन करने दोनों का वादा किया था। लेकिन ये युवा अभी इस वादे को भूले नहीं हैं।

साल 2014 के बाद से पेट्रोलियम उत्पादों सहित सभी आवश्यक उत्पादों के दामों में वृद्धि भी मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने महंगाई को ही राजनीति का प्रमुख मुद्दा बनाया था।

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बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कालाबाजारी, जमाखोरी, भंडारण, कोष,विशिष्ट फसलों और सब्जियों को बढ़ावा देने जैसे बड़े वादे किए थे। लेकिन इन वादों को तो मोदी सरकार जैसे भूल ही गई।

मोदी की आर्थिक नीतियों को लेकर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता भी खड़े करने लगे हैं। साल 2017 के अप्रैल-जून महीने में देश की जीडीपी गिरकर मात्र 5.7 फीसदी पर आ गई है। जब कि पिछले साल इसी अवधि में देश की जीडीपी 7.9 फीसदी थी।

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना यदि जीडीपी की गिरावट ऐसी ही रही तो पीएम मोदी का 2019 मिशन फेल हो सकता है। आप को याद दिला दूं कि साल 2004 में जब वाजपेयी की सरकार गिरी थी तब देश की जीडीपी मात्र 2 फीसदी थी।

मोदी सरकार ने नोटबंदी की तरह आधी-अधूरी तैयारी में ही एक जुलाई को जीएसटी लागू कर दिया। जिसके चलते आज तक व्यापारी वर्ग इसमें उलझा हुआ है। व्यापारी वर्ग नोटबंदी से पहले ही परेशान था अब जीएसटी समस्या ने इन्हें मुसीबत में डाल दिया है। हम सब इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि व्यापारी वर्ग ही बीजेपी का मेन वोट बैंक है।

कालाधन यूपीए सरकार को खा गया था। कालाधन वापस लाने का नारा लगाकर ही पीएम मोदी सत्ता की कुर्सी पर विराजमान हुए। लेकिन सच्चाई ये है कि कालाधन वापस लाने की बात तो दूर कालाधन को लेकर उनकी कई स्कीमें बुरी तरह से फ्लॉप साबित हुई हैं। नोटबंदी की मार देश की जनता आज भी झेल रही है। ये नोटबंदी ही है जिसके चलते देश की अर्थव्यवस्था निचले स्तर पर जा रही है।

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