आम बजट में विलय के बावजूद रेलवे को मिलती रहेगी सकल बजटीय सहायता
नई दिल्ली, 22 दिसम्बर (हि.स.)। रेल बजट के आम बजट में विलय के बावजूद रेलवे की अंश पूजी व्यय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसे सकल बजटीय सहायता मिलती रहेगी। यह बात लोकसभा में पेश रेल मंत्रालय की अनुदानों की मांगों (2017-18) के संबंध में रेल संबंधी स्थायी समिति के 13वें प्रतिवेदन में सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई दर्शाने वाले विवरण में कही गई है।
समिति को बताया कि रेलवे अपनी पूर्ण प्रकार्यात्मक स्वायत्ता को बनाए रखते हुए विभागीय रूप से संचालित वाणिज्यिक उपक्रम के रूप में अपनी पहचान बनाए रखेगा। रेलवे सामान्य कार्यकरण व्यय, कर्मचारियों का वेतन और भत्ते तथा अपने सेवानिवृत्ति पर पेंशन सहित अपने राजस्व व्यय के पूर्ति अपनी राजस्व प्राप्ति से करेगा लेकिन इससे पूंजी समाप्त हो जाएगी और वित्त पोषण आम बजट से किया जाए ताकि रेलवे पर लाभांश देयता न हो। समिति को यह भी सूचित किया गया कि वित्त मंत्रालय रेलवे के प्राक्कलनों सहित एक एक विनियोजन विधेयक प्रस्तुत करेगा।
समिति ने नोट किया था कि आक्वर्थ समिति की सफारिशों के अनुसार 1924 से रेल बजट पृथक रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है। रेल मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने समिति को बताया कि 1924 में खातों के पृथक्करण के समय, रेल बजट का आकार केंद्रीय बजट के आकार का लगभग आधा था और प्रतिकूल समय अथवा सूखे आदि के समय आम बजट की आवश्यकताओं को परा करने के लिए रेल बजट में उल्लेखनीय कटौती से रेलवे की प्रगति धीमी हो जाती थी। अत: उस समय महसूस किया गया कि रेलवे को स्वतंत्र बजट के साथ एक वाणिज्यिक निकाय के रूप में कार्य करना चाहिए और आम बजट में निवेश की गई पूंजी पर अपने आंतरिक लाभों से लाभांश भुगतान के द्वारा आम बजट में सहयोग देना चाहिए।
उस समय रेलवे उसके निवेश से लाभ कमा रही थी लेकिन इस समय परिदृश्य काफी बदल चुका है और कुल रेल बजट आम बजट का 10 से कम है और रक्षा मंत्रालय जैसे कुछ मंत्रालयों का बजट इससे अधिक है और इसलिए विलय के संबंध में चर्चा हुई। विवेक देवराय समिति ने भी उनके विलय की सिफारिश की थी। इस वर्ष एक ऐतिहासिक घटना के रूप में रेल बजट को आम बजट के एक अंग के रूप में प्रस्तुत हुआ।