वाशिंगटन, 31 मई (हि.स.)। अमेरिका ने प्रशांत महासागर के ऊपर मंगलवार को अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली का परीक्षण किया। इसके तहत एक नकली बैलेस्टिक मिसाइल को लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही अासमान में ध्वस्त कर उत्तरी कोरिया को चेता दिया है कि अमेरिकी सेना से लोहा लेना उसके लिए महंगा साबित हो सकता है। यह अपनी तरह का पहला परीक्षण था।
अमरीकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि इसकी योजना पहले से बनी थी, मगर यह टेस्ट उत्तर कोरिया के साथ बढ़ते तनाव के बीच किया गया है।
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उल्लेखनीय है कि अमरीका उत्तर कोरिया के आक्रामक रुख़ से चिंतित है। प्योंगयांग ने इस साल अब तक नौ मिसाइलों के परीक्षण किए हैं। अमरीका ने उत्तर कोरिया के तीन हफ़्ते में तीन मिसाइलों के परीक्षण के बाद यह क़दम उठाया है।
अमरीकी की मिसाइल रक्षा एजेंसी (एमडीए) का कहना है कि कैलिफ़ोर्निया के एक सैन्य हवाई अड्डे से एक इंटरसेप्टर दाग़ा गया जिसने प्रशांत महासागर के ऊपर एक नक़ली मिसाइल को नाकाम कर दिया। इस मिसाइल को मार्शल आइलैंड से दाग़ा गया था।
प्रशांत महासागर में मिसाइल रक्षा एजेंसी के निदेशक जेम्स डी सेरिंग ने बताया कि यह परीक्षण सफल रहा। अब अमेरिकी सेना उत्तरी कोरिया की और से ऐसी किसी भी बैलेस्टिक मिसाइल को लक्ष्य तक पहुंचाने से पहले ही ध्वस्त करने में सक्षम है, फिर भले ही उस मिसाइल के मुख पर आणविक हथियार ही क्यों न लगाए गए हों।
उधर, अमेरिकी सेना इस परीक्षण को मील का पत्थर बता रही है।
संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर सभी तरह के परमाणु कार्यक्रम और मिसाइल परीक्षण पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन वह लगातार उल्लंघन कर रहा है। उत्तर कोरिया के आक्रामक रुख़ से जापान और दक्षिण कोरिया की चिंता लगातार बढ़ रही है। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप लगातार चीन पर उत्तर कोरिया को संभालने के लिए दबाव बना रहे हैं।
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