अब भाजपा करेगी योगी के ”राजनैतिक उत्तराधिकारी” का निर्णय
गोरखपुर, 12 फरवरी (हि.स.)। गुरु गोरक्षनाथ मंदिर की भले ही यह परंपरा रही हो कि वह अपना उत्तराधिकारी खुद घोषित करे, लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला है। मंदिर के महंत अपने राजनैतिक उत्तराधिकारी का निर्णय करने को स्वतंत्र नहीं है। इसका निर्णय भारतीय जनता पार्टी करेगी।
दक्षिण भारत के रामनाथपुरम और मीनाक्षीपुरम में अनुसूचित जाति के लोगों के सामूहिक धर्मांतरण की घटना से आहत मन्दिर के महंत अवैद्यनाथ ने राजनीति में पदार्पण किया। इन्होंने विधानसभा से अपनी पारी की शुरुआत की, लेकिन यह उनके गुरु और मंदिर में महंत दिग्विजयनाथ का प्रसाद स्वरूप था। उन्होंने ही महंत अवैद्यनाथ को अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था।
महंत अवैद्यनाथ ने वर्ष 1962, 1967, 1974 व 1977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानीराम सीट का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1970, 1989, 1991 और 1996 में होने वाले चुनावों में जीत हासिल की और गोरखपुर से लोकसभा सदस्य रहे। फिर इन्होंने अपने शिष्य और मंदिर के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को अपनी सीट से चुनाव लड़वाने की मंशा जताई एवं भारतीय जनता पार्टी ने उनके निर्णय पर मुहर लगा दी थी।
34 वर्षों तक हिन्दू महासभा और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहकर हिंदुत्व को भारतीय राजनीति में गति देने और सामाजिक हितों की रक्षा करने वाले महंत अवैद्यनाथ ने स्वयं को अवसरवाद और पदभार से दूर रखा। राजयोग में भी हठयोग का प्रयोग बखूबी किया।
इसके बाद संसदीय चुनाव मैदान में आये योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 1998 में गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर राजनैतिक सफर शुरू किया और चुनाव जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। इसके साथ ही योगी ने सबसे कम उम्र में सांसद बनने का गौरव हासिल कर लिया। योगी आदित्यनाथ बारहवीं लोकसभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में ये गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गए। अप्रैल 2002 में योगी ने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया। वर्ष 2004 में उन्होंने तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। वर्ष 2009 में दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2014 में पांचवी बार सांसद चुने गए। एक बार फिर इन्हें दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतने का गौरव मिला। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला।
इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया था। इस चुनाव प्रचार ने योगी का कद काफी ऊंचा कर दिया था। 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया और मुख्यमंत्री पद पर आसीन कर दिया गया।
दो दशक पुराना है भाजपा से नाता
आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी का नाता दो दशक पुराना है। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इससे पहले उनके पूर्वाधिकारी तथा गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ भी भारतीय जनता पार्टी से 1991 तथा 1996 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
योगी आदित्यनाथ सबसे पहले 1998 में गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और तब उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया। लेकिन अब मंदिर के महंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और अन्य कोई मंदिर का राजनैतिक उत्तराधिकारी नहीं दिख रहा है। भाजपा अब इस राजनैतिक उत्तराधिकारी का चुनाव करने को मंथन शुरू कर चुकी है।