पटना/न्यूज़ डेस्क
मुजफ्फरपुर। भारतीय थारू कल्याण महासंघ के एक बुलावे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके महाधिवेशन में शाम…
मुजफ्फरपुर। भारतीय थारू कल्याण महासंघ के एक बुलावे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके महाधिवेशन में शामिल होने बगहा पहुंचे। उन्होंने न सिर्फ अधिवेशन का उद्घाटन किया बल्कि सभा में मौजूद थारू नेताओं की तारीफ में कसीदे गढ़े। अनुसूचित जाति-जनजाति के उत्थान की बात कही और ग्रामीण शिक्षा पर जोर दिया। दरअसल, थारूओं के इस कार्यक्रम में सीएम की मौजूदगी साधारण बात नहीं थी। महाधिवेशन के बहाने सीएम थारूओं को अपना बना गए। लंबे समय से जदयू का वोट बैंक रहे थारू बहुल गांवों में सीएम के प्रति नौरंगिया गोलीकांड के बाद भारी नाराजगी थी। वर्ष 2013 में हुए गोलीकांड के बाद से सीएम ने बीते पांच वर्षो में कभी भी थरूहट का रुख तक नहीं किया। हालांकि वे बगहा और वाल्मीकिनगर के दौरे पर जरूर आए।
सीएम का बिनवलिया पहुंचना स्वभाविक नहीं था। संभवत: वे मौका ढूंढ रहे थे, थारूओं के निकट आने का। सभा संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री श्री कुमार ने नौरंगिया गोलीकांड का जिक्र तो किया, लेकिन सरकार के द्वारा गोलीकांड के बाद किए गए कार्यो को अपनी उपलब्धि बताई। सीएम चर्चा के दौरान थोड़े भावुक दिखे। उन्होंने कहा कि गोलीकांड के बाद जितना दुख आपको हुआ, उससे कम दुख मुझे भी नहीं हुआ। मैंने कायदे कानून से उपर उठकर पीड़ितों की मदद की। सरकार की पहल पर घायलों का इलाज हुआ। पहले थरूहट मुझे मेरे गांव जैसा लगता था। मैं कहीं भी घूमने निकल जाता था, लेकिन बीते पांच वर्षो में मेरे जज्बात दबे रहे। अब आपने मौका दिया तो मैं खुद को रोक नहीं सका। सीएम के इन शब्दों में भले ही अपनापन था, लेकिन यह बात भी उतनी ही सच थी कि सीएम अधिवेशन के बहाने थारूओं को अपना बना गए। और लगे सीएम के जयकारे..
भारतीय थारू कल्याण महासंघ के अधिवेशन में भाग लेने की स्वीकृति मिलने के बाद इस समुदाय के लोगों को भी विश्वास हो गया कि अगर उनका कोई हमदर्द है तो वह हैं मुख्यमंत्री। यहीं कारण कि संघ के अध्यक्ष ने सभी सभा में एलान कर दिया कि हम आपके है और आपके रहेंगे। उसके बाद अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने भी कह ही दिया कि मेरा तो इस इलाके से बहुत लगाव रहा है। पहले मृतक व घायल के परिजनों को नौकरी देने की मांग की तो उसमें शैक्षणिक योग्यता व उम्र बाधा बन रही थी। अब उसका भी रास्ता साफ हो गया है। इस घोषणा के बाद थारूओं के चेहरे खिल उठे और मुख्यमंत्री के सम्मान में थारू ताली पीटने लगे।