अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश पर केंद्र राजी, सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट
नई दिल्ली, 23 नवम्बर (हि.स.)। निचली अदालतों और हाईकोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आज केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी। केंद्र सरकार की ओर से एएसजी पिंकी आनंद ने आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच को रिपोर्ट सौंपी। उस रिपोर्ट में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को सबसे अच्छा मॉडल बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मॉडल को सभी राज्यों में लागू किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगाने के काम का समन्वय करने के लिए विधि और न्याय मंत्रालय की प्रशंसा की। ये रिपोर्ट जल्द ही विधि और न्याय मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
पिछले 21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट रुम में प्राइवेट कुछ नहीं होता है। इसलिए कोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगाने से किसी की निजता प्रभावित नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगाना जनहित, अनुशासन और सुरक्षा की दृष्टि से सही कदम है।
सुनवाई के दौरान एएसजी पिंकी आनंद ने कहा कि विधि मंत्रालय को इसके लिए वित्तीय प्रस्ताव अनुमोदित करना है तो जल्द ही तैयार हो जाएगा। उन्होंने कोर्ट से कहा कि कोर्ट प्रोसिडिंग की सीसीटीवी और वीडियो रिकॉर्डिंग काफी जरूरी है, ये सबके हित में होगा। तब कोर्ट ने कहा कि इसमें देरी मत कीजिए।
पिछले 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट के काम में पारदर्शिता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट समेत सभी कोर्ट्स में सीसीटीवी कैमरे लगाने का समर्थन किया था। कोर्ट ने कहा था कि दूसरे देशों के संवैधानिक कोर्ट में भी ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग होती है। कोर्ट ने कहा था कि अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट की सारी कार्यवाही आप यू-ट्यूब पर देख सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट के ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल बिना कोर्ट की अनुमति के सूचना के अधिकार के तहत किसी को मुहैया नहीं कराया जा सकता है।